खेतों में रागी लगाना है फायदेमंद, जानें कैसे करें शुरुआत

रागी की सामान्य पैदावार 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, लेकिन यह मौसम और खेती के तरीकों पर निर्भर करता है.

खेतों में रागी लगाना है फायदेमंद, जानें कैसे करें शुरुआत
Noida | Published: 4 Apr, 2025 | 09:56 AM

रागी (Finger Millet) एक ऐसी फसल है, जो भारतीय कृषि में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह न केवल पोषक तत्वों से भरपूर है, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. रागी की खेती करना बहुत आसान है, और सबसे अच्छा ये है कि ये सूखा सहिष्णु फसल ( (drought-tolerant crops)है, यानी कम पानी में भी अच्छी तरह से उग सकती है. अगर आप भी रागी की खेती करने का सोच रहे हैं, तो यह टिप्स आपके लिए बहुत मददगार साबित हो सकती है. तो चलिए, जानते हैं रागी की खेती से जुड़ी कुछ जरूरी बातें.

भूमि का चयन

रागी के लिए हल्की-दोमट और जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. मिट्टी की pH वैल्यू 6 से 8 तक हो तो अच्छा होता है. ज्यादा पानी वाली मिट्टी से बचें, क्योंकि रागी को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती.

भूमि की तैयारी

रागी की खेती के लिए जमीन को तैयार करना बहुत जरूरी है. सबसे पहले खेत को अच्छे से जुताई करें, ताकि मिट्टी ढीली हो जाए. फिर हल से जुताई करें, ताकि मिट्टी के कण समान रूप से वितरित हो सकें. इसके बाद खरपतवार को हटाने के लिए निंदाई और कटाई करें.

बीज चयन और बुआई

रागी के अच्छे उत्पादन के लिए अच्छे और स्वस्थ बीज का चयन करें. बुवाई से पहले बीज को नीम तेल या जैविक कीटनाशक से उपचारित करें ताकि वह बीमारियों से बच सके. मानसून के दौरान बीज की बुवाई करें ताकि फसल को पर्याप्त पानी मिल सके. बीज की बुवाई 15-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करें और 15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोएं. बीज की गहराई 2-3 सेंटीमीटर रखें.

सिंचाई और जल प्रबंधन

रागी कम पानी वाली फसल है, लेकिन शुरुआत में सिंचाई जरूर करें. बारिश के मौसम में पानी की जरूरत कम हो जाती है, लेकिन अगर मौसम शुष्क हो, तो हर 8-10 दिन में पानी दें. खेत में पानी की अच्छी निकासी सुनिश्चित करें ताकि पानी का जमाव न हो.

खाद और उर्वरक

रागी की खेती में जैविक खादों का उपयोग करना अच्छा रहता है. इसके अलावा, नीमखली और गोबर खाद भी अच्छी होती हैं. रागी के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का सही संतुलन जरूरी है. रासायनिक उर्वरक का भी प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन उसकी सही मात्रा का ध्यान रखें.

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार की समस्या से बचने के लिए नियमित निंदाई करें. पहली निंदाई बीज बुवाई के 15-20 दिन बाद और दूसरी निंदाई 30-40 दिन बाद करें. खरपतवार फसल के पोषण में बाधा डालते हैं.

रोग और कीट नियंत्रण

रागी में तंबाकू के कीड़े, एफिड्स और सफेद मक्खी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इन्हें नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. इसके अलावा, रागी की फसल में पीला धब्बा और पत्तों की सड़न जैसी बीमारियों से बचने के लिए समय-समय पर फसल का निरीक्षण करें.

फसल की कटाई

रागी की फसल लगभग 3-4 महीने में पककर तैयार हो जाती है. जब रागी की बालियां सूख जाएं और बीज पूरी तरह से विकसित हो जाएं, तो फसल की कटाई करें. आप इसे हाथ से या मशीन से काट सकते हैं.

फसल की मड़ाई और थ्रेसिंग

कटाई के बाद रागी को सूखा कर मड़ाई करें. मड़ाई के बाद बीजों को अच्छे से साफ करके सुरक्षित रखें. रागी के बीज छोटे होते हैं, इसलिए थ्रेसिंग का ध्यान रखें ताकि बीज अच्छे से निकल सकें.

उत्पादन और बाजार

रागी की सामान्य पैदावार 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है, लेकिन यह मौसम और खेती के तरीकों पर निर्भर करता है. रागी के बीजों को आप सीधे बाजार में बेच सकते हैं या खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इस्तेमाल के लिए भेज सकते हैं.

रागी की खेती न केवल फायदेमंद है, बल्कि यह आपके खेतों के लिए एक अच्छा और लाभकारी विकल्प हो सकती है. इसे उगाना आसान है और इसके पोषक गुण इसे एक लोकप्रिय फसल बनाते हैं.

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