संतरे की खेती से बदल रही किसानों की किस्मत, सही किस्म के चुनाव से बढ़ी कमाई
संतरे की खेती भारत में एक लाभदायक व्यवसाय बनकर उभरी है, खासकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और नागपुर जैसे क्षेत्रों में. उचित जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता के साथ, संतरे की विभिन्न किस्में जैसे नागपुरी, कूर्ग और खासी संतरे की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

आज के समय में जब किसान पारंपरिक फसलों से हटकर नकदी फसलों की तरफ बढ़ रहे हैं, तो संतरे की खेती बेस्ट ऑप्शन बनकर उभर रही हैं. संतरा न केवल स्वादिष्ट और सेहतमंद फल है, बल्कि बाजार में इसकी मांग भी साल भर बनी रहती है. इसकी खेती अगर सही तरीके से की जाए तो किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में खासतौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और नागपुर के इलाके संतरे की खेती के लिए काफी मशहूर माने जाते हैं.
संतरे की खेती कैसे करें किसान
संतरे की खेती के लिए सबसे जरूरी है उचित जलवायु और मिट्टी. यह फसल की पैदावार गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छे से होती है, लेकिन ज्यादा गर्मी भी इसे नुकसान पहुच सकती हैं. संतरे की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है जिसमें पानी निकासी की सुविधा हो. जलभराव वाली जमीन में यह पौधा जल्दी खराब हो जाता है. आप इसकी खेती नर्सरी में तैयार पौधों से भी कर सकते है. इसकी खेती जुलाई से अगस्त तक होती है. इसे एक हेक्टेयर जमीन में करीब 150 से 200 पौधे लगाए जा सकते हैं. पौधों के बीच 6×6 मीटर की दूरी रखना जरूरी होता है ताकि उन्हें फैलने और धूप अच्छी तरह मिल सके.
वहीं, इस पौधों को शुरुआती एक-दो साल तक खास देखभाल की जरूरत होती है. इसमें समय-समय पर सिंचाई, खाद और कीट नियंत्रण जरूरी है. जैविक खाद और गोबर की खाद से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखें, और जरूरत के अनुसार यूरिया, डीएपी और पोटाश भी दी जा सकती है. संतरे के पेड़ आम तौर पर तीन से चार साल में फल देना शुरू कर देते हैं और एक पेड़ से सालाना 300 से 500 संतरे तक निकल सकते हैं. एक बार अच्छी तरह पेड़ तैयार हो जाए तो कई सालों तक लगातार उपज मिलती रहते है.
संतरे की सबसे ज्यादा उपज कहां होती है?
भारत में अगर संतरे की सबसे ज्यादा उपज की बात की जाए, तो महाराष्ट्र का नागपुर क्षेत्र पहले नंबर पर आता है. इसके बाद मध्य प्रदेश का बैतूल, छिंदवाड़ा और विदिशा जिले, फिर पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी संतरे की खेती हो रही है. इसके साथ ही सरकार भी सरकार भी संतरें बागवानी को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी, प्रशिक्षण और पौध वितरण जैसी योजनाएं चला रही है. अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से संतरे की खेती करें, तो यह एक बार लगाने के बाद 10–15 साल तक लगातार मुनाफा देने वाली फसल बन सकती है.
संतरे की पॉपुलर किस्में
नागपुरी संतरा (Nagpuri Orange)
नागपुरी की खासियत इसके पतले छिलके और रसीला गूदा जो स्वाद में हल्का मीठा-खट्टा होता है. यह किस्म की उपज नवंबर से जनवरी तक होती है. साथ ही नागपुरी संतरे को GI टैग भी मिला जिसे यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी निर्यात किया जाता है.
कूर्ग संतरा (Coorg Orange)
कर्नाटक के पहाड़ी क्षेत्र कूर्ग जिले में उगाया जाने वाला यह संतरा स्वाद और सुगंध में काफी खास होता है. यहां की ठंडी और नम जलवायु इसके लिए अनुकूल मानी जाती हैं. यह मध्यम आकार, मोटा छिलका और अंदर के मुलायमका गूदे के साथ हल्का खट्टा-मीठा और बहुत ही खुशबूदार होता हैं. इस फसल का समय दिसंबर से फरवरी तक का होता है. वहीं इसकी लंबी शेल्फ-लाइफ अच्छी होने के कारण बाजार में मांग भी अधिक रहती हैं.
खासी संतरा (Khasi Orange)
यह किस्म पूर्वोत्तर भारत, विशेष रूप से मेघालय के खासी हिल्स और असम में उगाई जाती है. यह एक पारंपरिक, स्थानीय किस्म है जो जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है. यह संतरा आकार में मध्यम, गूदा रसीला और स्वाद में तीव्र खट्टा-मीठा होता है. यह अक्टूबर से दिसंबरके बीच तक रहता है. संतरे की इस किस्म को भी GI टैग प्राप्त है, और इसकी जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.
पंजाब देसी संतरा (Punjab Desi Orange)
यह किस्म पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य मैदानी इलाकों में उगाई जाती है. यह आकार में छोटा और छिलका मोटा होता है, जो इसे ट्रांसपोर्ट में टिकाऊ बनाता है. यह संतरा जनवरी से मार्च तक रहता है. यह किस्म परंपरागत किस्म है, लेकिन नई तकनीकों के साथ इसकी उपज बढ़ाई जा सकती है.
दार्जिलिंग संतरा (Darjeeling Orange)
दार्जिलिंग और इसके आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में उगाई जाने वाली यह किस्म पश्चिम बंगाल की एक खास पहचान है. यह स्वाद में काफी अलग और खुशबूदार होती है. यह छोटे आकार पतला छिलका, स्वाद में तीव्र खट्टा और गूदा बहुत ही रसीला होता है, लेकिन ये नवंबर से दिसंबर के बीच काफी मात्र में पाया जाता हैं जिस कारण बाजार में इसकी मांग काफी अधिक होती है.