इंसान-बाघ टकराव पर लगेगा ब्रेक, मध्य प्रदेश सरकार लगाएगी 145 करोड़ की फेंसिंग

साल 2018 में जहां मध्य प्रदेश में 526 बाघ थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 785 हो गई है. बाघों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ जंगलों के आसपास बसे गांवों में इंसानों पर हमलों की घटनाएं भी बढ़ी हैं.

इंसान-बाघ टकराव पर लगेगा ब्रेक, मध्य प्रदेश सरकार लगाएगी 145 करोड़ की फेंसिंग
नई दिल्ली | Published: 24 Apr, 2025 | 05:02 PM

मध्य प्रदेश में बाघों की बढ़ती संख्या एक तरफ जहां गर्व की बात है, वहीं दूसरी ओर यह गांव-देहात के लोगों के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है. इंसानों और बाघों के बीच बढ़ते टकराव को रोकने के लिए अब सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. राज्य के नौ टाइगर रिज़र्व्स के बफर जोन में चेन-लिंक फेंसिंग यानी तार की मजबूत बाड़ लगाने के लिए ₹145 करोड़ की योजना को मंजूरी दे दी गई है.

तीन साल में होगा काम पूरा

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने जानकारी दी कि यह योजना तीन साल 2025-26, 2026-27 और 2027-28 में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी. इसका मकसद बाघों और इंसानों के बीच की टकराव की घटनाओं को रोकना है, खासकर उन इलाकों में जो जंगलों से सटे हैं.

बाघों की आबादी में इजाफा

साल 2018 में जहां मध्य प्रदेश में 526 बाघ थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 785 हो गई है. बाघों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ जंगलों के आसपास बसे गांवों में इंसानों पर हमलों की घटनाएं भी बढ़ी हैं. सिर्फ मार्च और अप्रैल 2025 में ही चार ऐसे हमले दर्ज किए गए हैं.

दिल दहला देने वाली घटनाएं

हालिया घटना में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पास एक आदिवासी व्यक्ति पर बाघ ने हमला कर दिया. एक अन्य दुखद मामले में एक 14 साल लड़का महुआ बीनते समय एक बाघिन का शिकार हो गया. अगले दिन उसी बाघिन ने फिर पिपरिया बफर जोन में एक महिला पर हमला किया. महुआ फूल मार्च-अप्रैल में खिलते हैं और आदिवासी समुदाय के लिए यह एक महत्वपूर्ण कमाई का स्रोत है. ऐसे में बाघों से इंसानों का आमना सामना हो जाता है.

सरकार दे रही मुआवजा

राज्य सरकार वन्यजीवों से संबंधित चोट या मृत्यु के मामलों में मुआवजा देती है. मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख की राशि दी जाती है, जबकि घायलों को ₹2 लाख तक और मामूली चोट के मामलों में ₹25,000 तक की मेडिकल सहायता दी जाती है. हाथियों से संपत्ति को नुकसान पहुंचने की स्थिति में भी सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा दिया जाता है.

अंकड़ों में देखें संघर्ष की तस्वीर

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बाघों के हमले 2019 में 10 से बढ़कर 2020 में 17 हो गए. सबसे ज्यादा घटनाएं कान्हा टाइगर रिज़र्व में दर्ज की गईं. 2019 से 2023 के बीच बाघों के हमलों में 27 लोगों की मौत हुई, जो 2024 के अंत तक बढ़कर 46 हो गई.

राज्य के टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या समय के साथ घटती-बढ़ती रही है, 2006 में 306, 2010 में 257, 2014 में 308 और 2022 की जनगणना में 726 बाघ दर्ज किए गए. ये बाघ राज्य के नौ टाइगर रिज़र्व्स में फैले हुए हैं.

फेंसिंग के अलावा सरकार गश्त, मुआवजा, डरावने उपकरणों और पॉवर फेंसिंग जैसे अन्य उपायों का भी सहारा ले रही है. इसके साथ ही, वन अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत वनवासी समुदायों के भूमि और संसाधनों के अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित की जा रही है.

टाइगर रिजर्व का बढ़ता दायरा

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व, जो शुरू में 105 वर्ग किमी था, अब बफर ज़ोन और पनपथा वन्यजीव अभयारण्य को मिलाकर 1,526 वर्ग किमी तक फैल चुका है. यह क्षेत्र उमरिया जिले में स्थित है, जहां लगभग 50% जनसंख्या अनुसूचित जनजातियों की है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या सात लाख थी, जिसमें से 17.14% लोग शहरी क्षेत्रों में रहते हैं.

इसी तरह, कान्हा टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 917 वर्ग किमी और बफर ज़ोन 1,134 वर्ग किमी में फैला हुआ है. इसमें फेन वन्यजीव अभयारण्य को जोड़ने पर कुल संरक्षित क्षेत्र में 110 वर्ग किमी की और वृद्धि हो जाती है.

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