अप्रैल में करें बैंगन की इन 5 किस्मों की खेती, मिलेगी बंपर पैदावार
बैंगन गर्म जलवायु की फसल है और इसे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा समय मार्च-अप्रैल और जून-जुलाई माना जाता है.

बैंगन (Brinjal) भारतीय रसोई में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली सब्जियों में से एक है. इसकी खेती किसानों के लिए एक फायदे का सौदा साबित हो सकती है, क्योंकि इसकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है. अगर सही किस्म और आधुनिक खेती तकनीक अपनाई जाए, तो कम लागत में भी अधिक उत्पादन लिया जा सकता है. आइए जानते हैं बैंगन ऐसी की पांच किस्मों के नाम, जिससे किसानों को होगा बंपर फायदा.
बैंगन की खेती के लिए सही मौसम
बैंगन गर्म जलवायु की फसल है और इसे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा समय मार्च-अप्रैल और जून-जुलाई माना जाता है. ठंडे मौसम में इसकी वृद्धि कम हो जाती है, इसलिए अधिक गर्मी और नमी वाले क्षेत्रों में इसकी पैदावार मिलती है.
क्यों करें बैंगन की खेती?
बैंगन की खेती कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली होती है. यह एक ऐसी फसल है जो जल्दी तैयार हो जाती है और कई बार तुड़ाई की जा सकती है. सही किस्म के चुनाव से किसान अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं और इसके बेहतर दाम मिल सकते हैं.
बैंगन की 5 बेहतरीन किस्में
स्वर्णा बैंगन- यह किस्म रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उपज के लिए जानी जाती है. यह 60 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है. इसकी चमकदार बैंगनी रंग की फलियां आकर्षक होती हैं और बाजार में अच्छा दाम दिलाती हैं.
अर्का निधि- यह भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बैंगलोर द्वारा विकसित किस्म है, जो बैक्टीरियल विल्ट जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक होती है. यह किस्म 60-80 दिनों में तैयार हो जाती है और 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है.
अर्का शीतल- आईआईएचआर, बैंगलोर द्वारा विकसित यह संकर किस्म विशेष रूप से कीटों के प्रति प्रतिरोधक बनाई गई है. यह 60-70 दिनों में तैयार हो जाती है और 200-240 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है.
पूसा क्रांति- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित इस किस्म को किसान बड़े पैमाने पर अपनाते हैं. यह 65-80 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है और 210-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है.
हिसार प्रगति- यह बैंगन की उन्नत किस्मों में से एक है, जो किसानों को बेहतरीन उत्पादन और मुनाफा देती है. इसकी पहली तुड़ाई 60-90 दिनों में होती है और उत्पादन क्षमता 340-400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है.