अनाज से इथेनॉल बनने पर किसानों की बढ़ेगी कमाई, जेब में आएंगे 35,000 करोड़

अनाज आधारित इथेनॉल से किसानों की बल्ले-बल्ले, हर साल 35,000 करोड़ रुपये की कमाई का रास्ता खुला.

अनाज से इथेनॉल बनने पर किसानों की बढ़ेगी कमाई, जेब में आएंगे 35,000 करोड़
नोएडा | Updated On: 12 Apr, 2025 | 07:40 PM

भारत में अनाज आधारित इथेनॉल उद्योग किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है. ग्रेन इथेनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन और प्राइमस पार्टनर्स की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस उद्योग से किसानों की आय 35,000 करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है. यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाने और शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ को कम करने में मददगार साबित हो सकती है. चलिए जानते हैं ये कैसे होगा?

1.65 करोड़ टन बेकार अनाज से 35,000 करोड़

रिपोर्ट के मुताबिक मक्का और टूटा चावल, जो अक्सर बेकार समझा जाता है, इथेनॉल बनाने में सबसे कारगर हैं. भारत में लगभग 1.65 करोड़ टन बेकार अनाज का इस्तेमाल कर हर साल किसानों को 35,000 करोड़ रुपये सीधे मिल सकते हैं. इससे गांवों में पैसा आएगा और लोग शहरों की ओर कम भागेंगे. ये सिर्फ इथेनॉल नहीं, गांवों की तरक्की का रास्ता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मक्का इसकी सबसे बड़ी ताकत है. इसे कम पानी चाहिए और ये इथेनॉल में आसानी से बदल जाता है.

वहीं रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि सरकार को नीतियां बनानी चाहिए, तकनीक में पैसा लगाना चाहिए और सभी को मिलकर काम करना चाहिए. मक्का और टूटे चावल से इथेनॉल को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं, ये रिपोर्ट का दावा है. अच्छी बात ये कि देश में अनाज की कोई कमी नहीं है. खाने की जरूरत पूरी करने के बाद भी इथेनॉल बनाने के लिए काफी अनाज बचेगा.

सरकार की पहल और लक्ष्य

भारत पहले ही इथेनॉल के मामले में कमाल कर रहा है. 2022 से पहले 10 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य पूरा हुआ और अब 2025 तक 19.6 फीसदी का टारगेट है. इससे 1.08 लाख करोड़ रुपये तक की विदेशी मुद्रा बची, 1.85 करोड़ टन तक कच्चा तेल बचा और 5.57 करोड़ टन तक CO2 उत्सर्जन कम हुआ. भारत दुनिया को साफ ऊर्जा का रास्ता दिखा रहा है. लेकिन रास्ता आसान नहीं है.

चुनौतियां क्या है?

हालांकि इस क्षेत्र में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे मक्के की बढ़ती कीमत, राज्यों में आपसी होड़ और इथेनॉल की कीमतें तय करने की दिक्कतें हैं. रिपोर्ट कहती है कि पूरे देश में मक्का उत्पादन बढ़ाना होगा. इथेनॉल की कीमतें लचीली रखनी होंगी, ताकि अनाज की लागत काबू में रहे और तब तक टूटे और बेकार चावल की सप्लाई बिना रुकावट मिलनी चाहिए. ये कदम इथेनॉल की रफ्तार को बनाए रखेंगे, ये खबर सिर्फ इंधन की नहीं, किसानों की ताकत और भारत के हरे-भरे भविष्य की है.

Published: 12 Apr, 2025 | 07:40 PM

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