हाथी फल से पाएं जबरदस्त मुनाफा, जानिए कैसे करें इसकी खेती
बाजार में इस नए फल की मांग बढ़ रही है. अभी लोगों को जानकारी कम होने की वजह से कम्पटीशन कम और मुनाफा ज्यादा कमाया जा सकता है.

भारत के कई ऐसे फल हैं, जिनके बारे में लोगों को ज्यादा नहीं पता. ऐसा ही एक फल है हाथी फल, जिसे हिंदी में चलता कहा जाता है. इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है और खुशबू भी बेहद ताजगी भरी होती है. आज हम बात कर रहे हैं इसी कम पहचाने गए लेकिन बहुत फायदेमंद फल की खेती की, जो किसानों को एक नया और कम खर्चीला विकल्प दे सकता है.
क्या है हाथी फल?
हाथी फल का वैज्ञानिक नाम Dillenia indica है, जिसका आकार बिल्कुल हाथी के पैर की तरह उभरा और बड़ा होता है. यही वजह है कि इसे एलिफेंट एप्पल या हाथी फल कहा जाता है. इस फल को असम में ओ-टेंगा, बंगाल में चलता और नेपाल में रामफल भी कहते हैं. इसका गूदा चिपचिपा होता है और इससे चटनी, अचार, जैम और करी बनाई जाती है. खासतौर पर पूर्वी भारत में इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है.
कहां होता है इसका प्राकृतिक रूप से उत्पादन?
यह फल भारत में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश और गुजरात के जंगलों और नदियों के किनारों पर पाया जाता है. यह अधिकतर नम और गर्म इलाकों में उगता है और 1100 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी आसानी से हो जाता है.
क्या है हाथी फल की खासियत?
यह एक सदाबहार पेड़ होता है जो लगभग 15 मीटर तक ऊंचा हो सकता है. इसके पत्ते बड़े, खुरदरे और हरे होते हैं. जून-जुलाई में इस पर सफेद रंग के बड़े-बड़े फूल खिलते हैं जिनकी खुशबू बेहद सुगंधित होती है.
सेहत के लिए भी फायदेमंद
हाथी फल में विटामिन C, कैल्शियम, फाइबर, टैनिन, मैलिक एसिड और पॉलीसेकराइड्स जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं. इसके बीज और छाल में भी औषधीय गुण पाए जाते हैं. आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में इसे पेट दर्द, कब्ज, त्वचा रोग और सूजन में फायदेमंद माना जाता है. कुछ रिसर्च में तो यह भी पाया गया है कि यह कैंसर कोशिकाओं पर भी असर करता है.
जलवायु और मिट्टी की जरूरत
इसकी खेती के लिए 24°C से 35°C तक तापमान और लगभग 2000 मिमी सालाना वर्षा की जरूरत होती है. यह नमी वाली जगहों, खासकर नदी किनारे, में अच्छा उगता है. मिट्टी में जल निकास अच्छा होना चाहिए और पीएच 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए. यह सीधे धूप में भी बढ़ता है लेकिन आंशिक छांव भी सह सकता है. हालांकि ठंड और पाला इसे नुकसान पहुंचा सकते हैं.
कैसे करें इसकी खेती?
बीज से: इसके बीज जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिए पकने के तुरंत बाद बोना चाहिए. 30 दिनों में अंकुरण होता है.
कलम से: इसकी कठोर टहनियों को हार्मोन (IBA – इंडोल ब्यूट्रिक एसिड) लगाकर बोने से अच्छी वृद्धि होती है.
एयर लेयरिंग: जुलाई-अगस्त की बारिश के समय यह तरीका सबसे अच्छा होता है.
टिश्यू कल्चर: बड़े स्तर पर गुणवत्तापूर्ण पौधे तैयार करने के लिए इसका उपयोग भी किया जा सकता है.
क्यों करें इसकी खेती?
बाजार में इस नए फल की मांग बढ़ रही है. अभी लोगों को जानकारी कम होने की वजह से कम्पटीशन कम और मुनाफा ज्यादा कमाया जा सकता है. इसके साथ ही जैविक और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट कंपनियों में इसकी मांग, क्योंकि हाथी फल से जैम, अचार, चटनी और हर्बल उत्पाद बनाए जा रहे हैं.