चीनी की कीमतों में 6.5 फीसदी का उछाल, उत्पादन घटने से दाम और बढ़ने की आशंका

महाराष्‍ट्र में एस-30 ग्रेड के लिए एक्स-मिल चीनी की कीमतें, जिसका उपभोक्ताओं द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, 17 फरवरी तक 3,790 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई हैं.

चीनी की कीमतों में 6.5 फीसदी का उछाल, उत्पादन घटने से दाम और बढ़ने की आशंका
Updated On: 25 Feb, 2025 | 12:59 PM

पिछले महीने भारत में चीनी की कीमतों में 6.5 फीसदी की वृद्धि हुई है. कहा जा रहा है कि उत्पादन उम्मीद से कम होने के कारण इसमें और वृद्धि होने की संभावना है. प्रतिकूल मौसम और दो साल के बाद चीनी निर्यात को फिर से खोलने के कारण चीनी उत्पादन में गिरावट आई है. इससे आपूर्ति में कमी आई है, जिससे कीमतों में वृद्धि हुई है. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार भारत जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक है, वहां चीनी उत्पादन ने बाजार को निराश किया है. साथ ही तत्काल आपूर्ति के कारण इसकी कीमतों के और बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है. उन्‍होंने तो चीनी बाजार में मंदी की आशंका तक जता दी है.

साल-दर-साल घट रहा उत्‍पादन

आंकड़ों के अनुसार महाराष्‍ट्र में एस-30 ग्रेड के लिए एक्स-मिल चीनी की कीमतें, जिसका उपभोक्ताओं द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, 17 फरवरी तक 3,790 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई हैं. यह एक महीने पहले 3,565 रुपये प्रति क्विंटल और दो महीने पहले 3,380 रुपये प्रति क्विंटल से वृद्धि दर्शाता है. पिछले साल की तुलना में, चीनी की कीमतों में 6.3 फीसदी का इजाफा हुआ है और पिछले दो महीनों में 12 फीसदी तक की वृद्धि हुई है. उद्योग के अनुमान बताते हैं कि 15 फरवरी तक, भारत का चीनी उत्पादन साल-दर-साल 12 फीसदी तक कम था. चीन के उत्‍पादन में यह गिरावट मुख्य तौर पर गन्‍ने की कम उपलब्धता और मिलों के जल्दी बंद होने के कारण हुई है.

बंद हो गईं कई शुगर मिल्‍स

भारत में चीनी मिलें आमतौर पर अक्टूबर से मई या जून तक लगभग चार से छह महीने तक काम करती हैं. हालांकि, इस साल गन्‍ने की कमी के चलते कई मिलें पहले ही बंद हो गईं. पिछले साल 505 मिलों की तुलना में इस साल सिर्फ 454 चीनी मिलों ने काम शुरू किया है. 15 फरवरी तक, 77 मिलें पहले ही बंद हो चुकी थीं, जो पिछले साल इसी तारीख तक बंद हुई 28 मिलों की तुलना में बहुत ज्यादा है. वर्तमान समय में सिर्फ 377 चीनी मिलें ही काम कर रही हैं. जबकि पिछले साल इसी समय 477 मिलें काम कर रही थीं.

कर्नाटक और महाराष्‍ट्र का बुरा हाल

नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) के आंकड़ों के अनुसार, अब तक बंद हुई अधिकांश मिलें महाराष्‍ट्र और कर्नाटक में स्थित हैं. ये दोनों ही राज्‍य भारत के दो टॉप चीनी प्रोड्यूसर राज्‍य हैं. NFCSF और इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) सहित उद्योग निकायों को पिछले वर्ष की तुलना में 2024-25 में चीनी उत्पादन में बड़ी गिरावट की उम्मीद है. एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार 15 फरवरी तक चीनी का उत्पादन 197.65 लाख टन हुआ, जो पिछले वर्ष इसी तारीख तक उत्पादित 224.75 लाख टन से 27.10 लाख टन कम है.

Published: 24 Feb, 2025 | 08:46 AM