तोरई या सरसों, जानिए कम समय में कौन सी फसल ज्यादा मुनाफेदार?

सरसों और तोरई के बीच सबसे बड़ा अंतर होता है कि जहां सरसों को पकने में लगभग 140 दिन लगते हैं, वहीं तोरई केवल 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है.

तोरई या सरसों, जानिए कम समय में कौन सी फसल ज्यादा मुनाफेदार?
Noida | Updated On: 12 Mar, 2025 | 08:58 AM

तोरई या सरसों की खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. अब सवाल है कि कौन सी फसल किसानों के लिए ज्यादा मुनाफे वाली है? किसानों के इसी सवाल का जवाब हम लेके आए हैं कि कौन सी फसल कम समय में अधिक मुनाफा देगी? सरसों और तोरई के बीच सबसे बड़ा अंतर होता है कि जहां सरसों को पकने में लगभग 140 दिन लगते हैं, वहीं तोरई केवल 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाता है. यही वजह है कि किसानों को तोरई उगाने की सलाह दी जाती है.

उपयुक्त समय और उपज

तोरई को रबी मौसम में उगाया जाता है. इस फसल को ज्वार, बाजरा या सब्जी के खेत खाली होने के बाद लगाया जा सकता है. किसान खाली खेतों में तोरई की खेती नई तकनीक का इस्तेमाल करके कर सकते हैं.

तोरई की एडवांस किस्म संगम है. यह किस्म महज 112 दिनों में तैयार होने के साथ ही 6-7 क्विंटल तक उपज देती है. कुछ किस्में, जैसे टीएल-15 और टीएच-68, 85-90 दिनों में तैयार हो जाती हैं. हालांकि, अब तोरई की बुवाई का समय खत्म हो गया है, क्योंकि इसे आमतौर पर सितंबर के अंत तक बोया जाता है. उसके बाद खेत खाली होने पर उसमें गेहूं की बुवाई की जाती है.

तोरई से अधिक उपज के उपाय

अगर तोरई से अधिक उपज प्राप्त करनी हो, तो इसके बीज को एजोटोबैक्टर से उपचारित करना चाहिए. सिंचित क्षेत्र में बीज की मात्रा प्रति एकड़ सवा किलो और बारानी क्षेत्र में दो किलो तक होनी चाहिए.

बुवाई के समय खेत में 50 किलो सुपर फास्फेट, 25 किलो यूरिया और 10 किलो तक जिंक डालना चाहिए. खेत की पहली सिंचाई के बाद 25 किलो यूरिया प्रति एकड़ देना चाहिए. यदि आप सुपर फास्फेट की बजाय 18 किलो डीएपी डालना चाहते हैं, तो दो बोरी जिप्सम अंतिम जुताई के समय डालें.

सिंचाई और बीमारियों पर कंट्रोल

किसानों को तोरई में अगेती सिंचाई करने से बचना चाहिए. इस फसल की सिंचाई हमेशा फूल और फलियां बनने के समय करनी चाहिए. फसल के अच्छे परिणाम के लिए बीज को 2 ग्राम कार्बेंडेजिम प्रति किलो की दर से उपचारित किया जाना चाहिए.

वहीं तोरई पर मरोडिया रोग हो सकता है, इसलिए रोगग्रस्त पौधों को खेत से समय-समय पर हटाते रहना चाहिए. इस फसल में चेंपा कीट नहीं लगते, लेकिन अन्य कीटों के प्रकोप को रोकने के लिए 200 मिली मैलाथियान 50 ईसी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव किया जा सकता है. ध्यान रहे कि फसल की कटाई फलियां पकने के बाद ही करें, क्योंकि कच्ची फसल की कटाई से उनके चिपक कर खराब होने का खतरा होता है.

तोरई के फायदे

तोरई की फसल को सरसों से बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसमें 44 प्रतिशत तेल होता है, जबकि सरसों में यह केवल 40 प्रतिशत होता है. इससे किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं. एक और बड़ा फायदा यह है कि तोरई की कटाई के बाद किसान उसी खेत में गेहूं की बुवाई कर सकते हैं.

Published: 12 Mar, 2025 | 02:05 AM

Topics: