सर्दी की वापसी से किसानों को राहत, गेहूं की फसल को फायदा
उत्तर भारत में मौसम के बदलाव से किसानों को मिली राहत जिससे गेहूं की फसल को फायदा होने की उम्मीद है. गेहूं उत्पादन पिछले साल 106 मिलियन टन से बढ़कर 110 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है.

पिछले कुछ हफ्तों से उत्तर भारत में मौसम का मिजाज लगातार बदल रहा है. फरवरी के अंत में तापमान अचानक बढ़ने से किसानों की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन बीते कुछ दिनों से बदले मौसम के मिजाज से से किसानों को काफी राहत मिली है. मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, उत्तर भारत के इलाकों में 25 से 35 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 45 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से तेज हवाएं चलने के आसार हैं. इसके साथ मौसम विभाग ने यह भी कहा कि नौ से 11 मार्च के बीच जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में हल्की बारिश बर्फबारी की संभावना है. वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अगले कुछ हफ्तों तक मौसम अनुकूल बना रहता है, तो इस साल गेहूं का उत्पादन पिछले साल की तुलना में बेहतर हो सकता है
सर्दी लौटने से गेहूं को फायदा
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए औसत तापमान 15-16 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहना सबसे अच्छा होता है. फरवरी के अंतिम सप्ताह में अचानक गर्मी बढ़ने से किसानों को फसल खराब होने का डर सताने लगा था, लेकिन हाल ही में हवाओं और हल्की बारिश से ठंडक लौट आई है. इससे गेहूं की फसल को फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है. खासकर गेहूं उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फसल की स्थिति फिलहाल संतोषजनक बताई जा रही है.
हालांकि, हरियाणा और कुछ अन्य इलाकों में असमय बारिश से फसल को नुकसान पहुंचा है. राज्य सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष पोर्टल शुरू किया है, जहां किसान अपने नुकसान की जानकारी देकर मुआवजे के लिए आवेदन कर सकते हैं.
गेहूं उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों और आटा मिल मालिकों की हालिया बैठक में यह अनुमान लगाया गया कि 2025-26 में गेहूं उत्पादन 110 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो कि पिछले साल के 106 मिलियन टन से अधिक होगा.
MSP से ऊपर बिक रहा है गेहूं
देश के विभिन्न मंडियों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर हैं. हालांकि फसल की आपूर्ति बढ़ने के कारण कीमतों में हल्की नरमी देखी जा रही है. सरकारी पोर्टल agmarknet.gov.in के आंकड़ों के मुताबिक इंदौर (मध्य प्रदेश) मंडी में पांच मार्च को गेहूं की कीमत 2,700 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई, जो MSP 2,425 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक थी. पिछले दिनों यह कीमत 2,946 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी, लेकिन फसल की सप्लाइ बढ़ने से दाम थोड़े घटे हैं.
बात करें तो अन्य फसलों की कीमतों के बारें में तो चना 5,601 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि इसका MSP 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के करीब है. तो वहीं सरसों की कीमत कुछ मंडियों में MSP से 5,950 रुपये प्रति क्विंटल से कम दर्ज की गई है, जो चिंता का विषय है.
तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग
सरसों के दाम MSP से नीचे जाने से किसान नाराज हैं. किसानों का मानना है कि तेलों की अधिक इम्पोर्ट के कारण घरेलू तिलहन की कीमतें प्रभावित हुई हैं. इसी वजह से कई विशेषज्ञ एडबल ऑइल पर इम्पोर्ट प्राइस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके. सितंबर 2024 केंद्र सरकार ने एडबल ऑइल के इम्पोर्ट शुल्क को बढ़ाया था. कच्चे पाम, सोया और सूरजमुखी तेल पर 12.5% से बढ़ाकर 32.5% कर दिया गया था. तो वहीं रिफाइंड ऑइल पर 13.75% से बढ़ाकर 35.75% किया गया था. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में कहा कि सरकार आयात-निर्यात नीतियों में आवश्यक बदलाव करेगी ताकि किसानों और घरेलू उद्योगों के हितों की रक्षा हो सके.