कोल्हापुर में मार्च में ही नजर आया ये खास कीट, गन्ना किसान हुए अलर्ट
महाराष्ट्र में कोल्हापुर के किसानों को अब इस साल इन कीड़ों से निबटने के उपाय पहले ही करने पड़ेंगे ताकि गन्ने की और दूसरी फसलों को बचाया जा सके.

महाराष्ट्र के किसान इन दिनों खासे परेशान हैं. उनकी परेशानी की वजह है, मॉनसून के बाद नजर आने वाले कीड़ों का मार्च में ही दिखने लगना. ऐसे समय में जब बारिश जरा भी नहीं हैं, ये कीड़े खेतों में पहुंच गए हैं. जबकि अक्सर ये तेज बारिश या बारिश के बाद के मौसम में नजर आते थे. रिसर्चर्स को डर है कि कहीं इस बार इन Weevil या कीड़ों का हमला फसलों पर बहुत ज्यादा और तेज न हो. इसे वैज्ञानिक क्लाइमेट चेंज से जोड़कर देख रहे हैं.
मॉनसून के बाद आते हैं बाहर
वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के अनुसार कोल्हापुर के किसानों को अब इस साल इन कीड़ों से निबटने के उपाय पहले ही करने पड़ेंगे ताकि गन्ने की और दूसरी फसलों को बचाया जा सके. बताया जा रहा है कि पश्चिमी महाराष्ट्र में यह समस्या पहले शुरू हुई और फिर धीरे-धीरे दूसरे हिस्सों में पहुंच गईं. जलवायु में हुए बदलावों ने इस कीड़े की लाइफस्टाइल को भी बदल दिया है. इससे पहले मॉनसून की बारिश के बाद ये कीड़ें जमीन से निकल आते थे. नर कीड़े मादा के साथ मिलकर प्रजनन करते और अंडे मिट्टी में छोड़ देते थे.
स्थिति हो सकती है और गंभीर
रिसर्चर्स को डर है कि अगर प्रजनन मार्च में ही शुरू हो गया तो फिर स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है किसान इस कीडे़ का जीवनचक्र समझें और तुरंत उनसे निपटने के उपाय करें. कृषि विशेषज्ञों ने कोल्हापुर और सांगली में गन्ने के खेतों में मार्च के महीने में ही इन कीड़ों को देखा है. विशेषज्ञों के अनुसार यह गंभीर चिंता का विषय है. उनकी मानें तो इस समय हर कंद के लिए आठ से 10 कीड़ें आकर्षित हो रहे हैं. अगर रिसर्च की जाए तो अंडे देने का समय पूरे 12 महीने तक चल सकता है.
किसानों को दी गई सलाह
विशेषज्ञों ने अभी के लिए किसानों को सलाह दी है कि वो इस कीड़े को नियंतित्र करने के लिए एक एकीकृत पहल की दिशा में आगे बढ़ें. उनका कहना है कि इतनी जल्दी खेत में इस कीड़े का नजर आना अगले बड़े प्रकोप की तरफ इशारा करता हे. ऐसे में किसानों से अपील की जा रही है कि वो गंध जाल और दूसरे उपायों का प्रयोग करें.