साल 2024 में महाराष्ट्र में 2635 ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या!
महाराष्ट्र के राहत और पुर्नविस्थापन विभाग की तरफ से बताया गया है कि साल 2024 में महाष्ट्र में 2635 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. किसान कैलाश अर्जुन नागरे ने होली के अगले ही दिन उन्होंने खेत में ही अपनी जान दे दी.

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या दर एक बार फिर से राष्ट्रीय मसला बनती जा रही है. अब पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने भी इस पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने केंद्र सरकार से इस तरफ ध्यान देने की अपील की है. होली के अगले दिन विदर्भ के किसान कैलाश अर्जुन नागरे की आत्महत्या ने मामले को और गंभीर कर दिया है. हाल ही में महाराष्ट्र के राहत और पुर्नविस्थापन विभाग की तरफ से बताया गया है कि साल 2024 में महाष्ट्र में 2635 किसानों ने आत्महत्या कर ली है.
पवार ने जताई गहरी चिंता
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार ने भी अब इस पर चिंता जताई है. पवार के अनुसार मराठवाड़ा और विदर्भ में किसानों की स्थिति पर दुख जताया है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार को ऐसी नीति तैयार करनी होगी जो किसानों की मदद कर सके. पवार के अनुसार मराठवाड़ा और विदर्भ से जो जानकारियां आ रही हैं, वो काफी परेशान करने वाली हैं. आंकड़ों पर अगर यकीन करें तो साल 2015 से 2019 तक महाराष्ट्र में 12600 किसानों ने आत्महत्या की है. साल 2023 तक रोजाना सात किसानों ने अपनी जिंदगी खत्म की.
क्या है आत्महत्या की वजह
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो सरकार हर बार कर्ज माफी और कई योजनाओं की बात करती है. लेकिन किसानों को बेहतर पानी की सप्लाई, अच्छे बीजों और भंडारण की सुविधाओं की जरूरत है. महाराष्ट्र में पानी की कमी ने किसानों की समस्या को दोगुना कर दिया है. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी उनके सामने एक बड़ी चुनौती है. राज्य के 80 फीसदी किसान आज भी बेहतर फसल के लिए बारिश पर निर्भर हैं. इसके अलावा बीज से लेकर उर्वरक और कृषि मजदूरी बहुत महंगी हो चुकी है. वहीं किसानों के पास अपनी फसल को बचाने के लिए पर्याप्त भंडारण सुविधा भी नहीं है.
पुरस्कार विजेता किसान ने की आत्महत्या
पुरस्कार विजेता किसान कैलाश अर्जुन नागरे जो विदर्भ से आते थे, होली के अगले ही दिन उन्होंने खेत में ही अपनी जान दे दी. कैलाश को साल 2020 में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से युवा किसान के सम्मान से सम्मानित किया गया था. अपने सुसाइड नोट में कैलाश ने राज्य सरकार को दोषी बताया है. नागरे खड़कपूर्णा के तहत आने वाले 14 गांवों के लिए सिंचाई के पानी की मांग कर रहे थे. वह इस क्षेत्र के एक जाने-माने किसान नेता थे. पिछले साल भी उन्होंने 10 दिनों तक भूख हड़ताल की थी लेकिन फिर भी उनकी समस्या नहीं सुलझी. नागरे के परिवारों वालों ने कहा है कि यह आत्महत्या नहीं है बल्कि सरकार की लापरवाही ने उनकी जान ली है.