कपास का स्टॉक हाउसफुल फिर भी क्यों महाराष्ट्र के किसान हैं परेशान
स्टॉक बढ़ने की वजह से सीसीआई ने अब कपास की खरीद को धीमा कर दिया है और यही किसानों की सबसे बड़ी चिंता का विषय है. विशेषज्ञों की मानें तो इस बार कपास का औसत उत्पादन कम हुआ है.

कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) की तरफ से महाराष्ट्र के अमरावती में पिछले दो महीने से कपास की खरीद हो रही है. सीसीआई ने लोकल जिनिंग प्रेसिंग के साथ करार किया है और इसका नतीजा है कि जिनिंग में कपास का स्टॉक बढ़ गया है. लेकिन इसके बाद भी कपास के किसान परेशान हैं. बताया जा रहा है कि यहां पर स्टॉक बढ़ने की वजह से सीसीआई ने पिछले दिनों कपास की खरीद को धीमा कर दिया था. इस वजह से ही किसान सबसे ज्यादा चिंतित हैं. विशेषज्ञों की मानें तो इस बार कपास का औसत उत्पादन कम हुआ है. किसानों को उम्मीद थी कि इस स्थिति में मांग बढ़ेगी और इस वजह से दाम भी बढ़ेगा. लेकिन सीसीआई की योजना से ऐसा होने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं.
किसानों की उम्मीदें टूटीं
वहीं गांठ और सरकी का भी स्टॉक बढ़ने से भी कपास के स्टोरेज की जगह कम पड़ती जा रही है. वेबसाइट मंडल न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार किसानों को खुले बाजाद में पिछले चार महीने में 7521 रुपये गारंटी भाव नहीं मिल सका है. परेशान किसानों पुराने दाम पर कपास को बेचने पर मजबूर हुए. वहीं कुछ किसान इसकी कीमत बढने के इंतजार में इसका बेचने से पीछे हट गए. वहीं कुछ किसानों ने सीसीआई को कपास बेचा.
फैक्ट्रियों में स्टॉक फुल
जिनिंग फैक्ट्रियों में कपास का स्टॉक भर चुका है. किसान बड़ी मात्रा में कपास की बिक्री के लिए जिनिंग यूनिट्स पर पहुंच रहे हैं, लेकिन पहले से भरे गोदामों के कारण नई फसल को रखने की जगह नहीं बची है. इस साल अनुकूल मौसम और बेहतर फसल उत्पादन के चलते किसानों को अच्छी पैदावार मिली है. इसके अलावा, बाजार में कपास की मांग स्थिर बनी हुई है, लेकिन जिनिंग मिलों की प्रोसेसिंग क्षमता सीमित होने के कारण स्टॉक लगातार बढ़ता जा रहा है.
क्यों परेशान हैं मिल मालिक
जिनिंग मिल मालिकों का कहना है कि कपास की आवक तेजी से बढ़ रही है, लेकिन जगह की कमी के कारण उन्हें नए माल को रखने और प्रोसेस करने में दिक्कत हो रही है. कई मिलों में पहले से रखा कपास प्रोसेस होने का इंतजार कर रहा है, जिससे नए कपास की खरीद में परेशानी हो रही है. किसानों के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन रही है. वे अपनी फसल को जल्द से जल्द बेचकर उचित मूल्य पाना चाहते हैं. लेकिन जिनिंग फैक्ट्रियों में जगह की कमी के कारण उन्हें अपनी उपज के भंडारण और बिक्री में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
कौड़ियों के भाव जाएगी फसल!
वहीं सीसीआई का अमरावती जिले में कोई ऑफिस नहीं है. इसकी वजह से इस बात की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पा रही है कि जिले में कपास की कितनी खरीद हुई है. मराठवाड़ा और खानदेश के किसानों ने बताया कि कपास की खरीद बंद हो चुकी है. उन्होंने सीसीआई पर टालमटोल करने का आरोप लगाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और संबंधित एजेंसियों को मिल मालिकों और किसानों की इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कदम उठाने चाहिए. अगर जल्द ही उचित व्यवस्था नहीं की गई, तो किसानों को अपनी उपज सस्ते दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा.