सिर्फ 65 दिनों में ही फसल देने लगती है मूंग की यह किस्‍म, किसान होंगे मालामाल!

आजाद मूंग-1 जिसकी बुवाई का समय 10 मार्च से 10 अप्रैल के बीच होता है. पोषक तत्‍वों की वजह से इसकी मांग बाजार में बहुत होती है और किसानों के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है. खेती में लागत भी कम आती है.

सिर्फ 65 दिनों में ही फसल देने लगती है मूंग की यह किस्‍म, किसान होंगे मालामाल!
Noida | Updated On: 2 Apr, 2025 | 08:52 AM

मूंग की खेती के लिए मार्च के महीने को आदर्श समय माना जाता है. किसान मार्च-अप्रैल में इसके बीज बोते हैं. वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं जो इसकी खेती जायद के मौसम में करना पसंद करते हैं तो कुछ ऐसे हैं जो खरीफ सीजन यानी जून और जुलाई के बीच भी इसकी खेती करते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मूंग के बीज मार्च-अप्रैल में बो दिए जाएं तो अच्‍छा फायदा होता है. आज हम आपको मूंग की एक ऐसी किस्‍म के बारे में बताने जा रहे हैं जो सिर्फ 65 दिनों में ही फसल देने लगती है. इतने कम समय में फसल से किसानों को भी अच्‍छा खासा फायदा हो सकता है.

किन राज्‍यों में होती है इसकी खेती

मूंग की यह किस्‍म है आजाद मूंग-1 जिसकी बुवाई का समय 10 मार्च से 10 अप्रैल के बीच होता है. पोषक तत्‍वों की वजह से इसकी मांग बाजार में बहुत होती है और किसानों के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है. खेती में लागत भी कम आती है और किसान कम दिनों में बहुत जबरदस्त मुनाफा कमा सकते है. आजाद मूंग-1, मूंग की एक उन्‍नत किस्म है जिसे KM2342 के नाम से भी जाना जाता है. राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार और आंध्र प्रदेश के किसान इसकी खेती करते हैं.

किस तरह की मिट्टी सही

आजाद मूंग-1 की खेती के लिए उचित जल निकास वाली बलुई-दोमट, दोमट, या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. बुवाई से पहले खेत को जोतकर तैयार कर लेना चाहिए. एक एकड़ में इसकी बुआई के लिए 6 से 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है. इसकी खेती में गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. एक एकड़ में आजाद मूंग-1 किस्म की खेती करने से करीब 10-12 क्विंटल तक पैदावार होती है. किसान इसकी खेती करके लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. बीज को 4-6 सेमी की गहराई पर बोएं.

खरपतवार को रखें दूर

रबी के सीजन में इसके बीज बोने के लिए कतारों के बीच 22.5 सेमी और पौधे से पौधे के बीच 7 सेमी की दूरी रखें. खेत को खरपतवार मुक्त रखने के लिए एक या दो गुड़ाई करें, पहली गुड़ाई बुवाई के चार हफ्ते बाद और दूसरी गुड़ाई, पहली गुड़ाई के दो सप्ताह बाद करें. खरपतवार को रासायनिक रूप से नियंत्रित करने के लिए, बुवाई से पहले फ्लूक्लोरालिन 600 मिली/एकड़ या ट्राइफ्लूरालिन, 800 मिली/एकड़ डालें (बुवाई उसी दिन करें).साथ ही, बुवाई के दो दिन के अंदर 100-200 लीटर पानी में 1 लीटर/एकड़ पेन्डीमेथालिन का छिड़काव करें.

Published: 31 Mar, 2025 | 04:16 PM

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