आम की फसलों के लिए प्रशासन अलर्ट, किसानों को दी जा रही खास मदद
चित्तूर जिले में आम की फसल को तेज गर्मी और देर से आए फूलों के कारण नुकसान हो रहा है. जिला प्रशासन ने किसानों की मदद के लिए कई उपाय शुरू किए. इनमें जागरूकता अभियान, बायोडिग्रेडेबल कवर और तकनीकी सहायता भी शामिल हैं.

चित्तूर जिले में इस साल आम की फसल को लेकर किसानों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं. मौसम में तेज गर्मी और आम के बौर देरी होने के कारण बागों में आम के फल कमजोर और खराब हो रहे हैं. इसे इस साल आम की पैदावार पर गहरा असर पड़ सकता है. इसी को देखते हुए जिला प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते हुए किसानों की मदद के लिए कई उपाय शुरू किए हैं. इनमें जागरूकता अभियान से लेकर बायोडिग्रेडेबल कवर तक बांटने जैसी योजनाएं शामिल हैं ताकि आम की फसल को अधिक नुकसान से बचाया जा सके.
फूलों के सूखने से किसानों की परेशानी बढ़ी
अखबार हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार चित्तूर जिले में आम के बागान लगभग 1.7 लाख एकड़ में फैले हुए हैं लेकिन इस बार फसल की स्थिति अच्छी नहीं है. आम के फूल देर से आए और तेज गर्मी की वजह से जल्दी सूख रहे हैं. इसका सीधा असर फल बनने की प्रक्रिया पर पड़ा है.
बागवानी विभाग (Horticulture Department) के उप निदेशक डी. मधुसूदन रेड्डी के अनुसार, यदि किसानों ने समय रहते पानी की उचित व्यवस्था नहीं की तो फल झड़ सकते हैं और उत्पादन बहुत कम हो सकता है. इसलिए प्रशासन ने गांव-गांव में जागरूकता शिविर आयोजित करने का फैसला किया है.
इन शिविरों में किसानों को यह समझाया जा रहा है कि अगर वह नियमित रूप से बागों में पानी उपलब्ध हराते है, तो फूलों को सूखने से बचाया जा सकता है. इस उपाय से फलों के गिरने की संभावना भी कम होगी और आने वाले दो महीनों में चलने वाली तेज हवाओं से आम की फसल सुरक्षित रह सकेगी.
बायोडिग्रेडेबल कवर से आम को बचाने की पहल
फसल की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन ने किसानों को बायोडिग्रेडेबल कवर (प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाले आवरण) उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. इन कवरों को आम के फलों पर चढ़ाने से वे तेज धूप और गर्मी से बचेंगे, जिससे उनका रंग और गुणवत्ता बेहतर बनी रहेगी. साथ ही प्रशासन ने किसानों को राहत देते हुए इन कवरों की कीमत में भी छूट दी है. प्रत्येक किसान को 10,000 कवर तक उपलब्ध कराए जाएंगे, जिनकी असली कीमत 2 रुपए प्रति कवर है, लेकिन किसानों को ये सिर्फ 1 रुपए में ही दिए जाएंगे.
The hindu रिपोर्ट के अनुसार बागवानी अधिकारी डी. मधुसूदन रेड्डी बताते हैं की, ‘ये कवर आम को काले धब्बों से बचाने में मदद करेंगे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर तेज़ हवाएं चलती हैं, तो ये कवर फलों को टूटने और गिरने से भी बचाएंगे.’
तकनीकी सहायता के लिए तैयार हैं विशेषज्ञ
बागवानी विभाग ने किसानों से अपील की है कि अगर उन्हें किसी भी तरह की तकनीकी सहायता की जरूरत हो, तो वे तुरंत स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें. अगर किसी बागान में फसल को बचाने के लिए विशेष खाद, दवा या अन्य तकनीकी उपायों की जरूरत होगी, तो अधिकारियों द्वारा उचित उपाय बताएंगे.
कहीं चिंता, कहीं राहत
चित्तूर जिले के कुछ हिस्सों में आम की फसल की स्थिति बहुत खराब है, लेकिन कुछ इलाकों में हालात बेहतर हैं. खासकर, पुंगनूर, पालमनेर और कुप्पम जैसे क्षेत्रों में फूल और फल सही मात्रा में आ रहे हैं, जिससे इन इलाकों के किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है. तो वहीं दूसरी ओर, गुन्टूर और विजयवाड़ा जैसे जिलों में आम के बागानों में कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. हालांकि, राहत की बात यह है कि चित्तूर जिले में अब तक कोई बड़ा कीट संक्रमण या रोग नहीं फैला है.
किसानों को प्रशासन से उम्मीदें
पिछले कुछ वर्षों में किसानों को मौसम की मार का सामना करना पड़ा है. फसल उत्पादन में लगातार आ रही गिरावट ने उनकी आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है. ऐसे में, इस साल जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए ‘डैमेज कंट्रोल’ के कदम किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान प्रशासन द्वारा सुझाए गए उपाय अपनाते हैं, जैसे समय पर सिंचाई, बायोडिग्रेडेबल कवर का उपयोग और फलों की सुरक्षा के अन्य उपाय, तो इस बार आम की फसल को काफी हद तक नुकसान से बचाया जा सकता है.
बाजार में आम की गुणवत्ता बनी रहेगी?
चित्तूर जिला आम उत्पादन के लिए जाना जाता है, और यहां के आम देश-विदेश तक पहुंचते हैं. इस बार प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम अगर सफल होते हैं, तो उम्मीद की जा सकती है कि बाजार में चित्तूर के आम की मिठास और गुणवत्ता बनी रहेगी.