इन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त है बलुई मिट्टी, जानें क्या है खासियत
बलुई मिट्टी में रेत के कणों का आकार 0.06mm से 2.0mm तक होता है. इसमें रेत के कणों के बीच में खाली जगह होती है जिसके कारण इस मिट्टी में पानी ज्यादा देर नहीं रुकता है.

फसलों के उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है कि फसल लगाने से पहले खेत की मिट्टी की अच्छे से जांच कर ली जाए. मिट्टी में मौजूद जरूरी पोषक तत्व फसल उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए किसानों को फसल लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि जिस मिट्टी में वे अपनी फसल लगी रहे हैं वो उपयुक्त है या नहीं. वैसे तो मिट्टी के कई प्रकार होते हैं लेकिन हम आज बात करने वाले हैं बलुई मिट्टी जिसे रेतीली मिट्टी भी कहा जाता है.
कैसे बनती है बलुई मिट्टी
बलुई मिट्टी या रेतीली मिट्टी जिसे अंग्रेजी में सैंडी सॉइल(sandy soil) कहते हैं. यह रेत, गाद और मिट्टी का ऐसा मिश्रण है जिसमें बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं. खेती के लिए बलुई मिट्टी को इसलिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि इसमें नमी और पोषक तत्वों को बनाए रखने की क्षमता होती है. इसमें लगभग 40% गाद, 20% मिट्टा और बचे हुए 40% में बालू होती है. बलुई मिट्टी को सबसे हल्की मिट्टी भी माना जाता है क्योंकि इसमें रेत के कण बड़े और मिट्टी के कण सबसे छोटे होते हैं. परिणाम स्वरूप यह मिट्टी पानी को जल्दी सोख लेती है और जल्दी सूख जाती है.
बलुई मिट्टी की खासियत
बलुई मिट्टी में रेत के कणों का आकार 0.06mm से 2.0mm तक होता है. इसमें रेत के कणों के बीच में खाली जगह होती है जिसके कारण इस मिट्टी में पानी ज्यादा देर नहीं रुकता है. क्योंकि इस मिट्टी में पानी रुकता नहीं हो तो वह जल्दी ही नीचे गहराई में चला जाता है. रेत के कणों के बीच में खाली जगह होने के कारण बलुई मिट्टी में वायु संचार बहुत अच्छा होता है. बलुई मिट्टी का उपयोग मिट्टी के मिश्रण में, रेत पत्थर बनाने में और कुछ विशेष फसलों की खेती के लिए किया जाता है.
इन फसलों के लिए उपयुक्त है बलुई मिट्टी
बलुई मिट्टी में आप कई तरह की फसलें उगा सकते हैं. कुछ मुख्य फसलें जिनके लिए बलुई मिट्टी उपयुक्त हैं उनमें बाजरा, मक्का, जूट, कपास, मूंगफली, दालें, सरसों, तिल, तंबाकू, गन्ना, गेहूं और सब्जियां शामिल हैं. ये फसलें बलुई मिट्टी में उगने के लिए अनुकूल हैं क्योंकि बलुई मिट्टी में जल निकासी अच्छी होती है जिससे पौधों की जड़ों को सांस लेने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है. इस मिट्टी में बबूल, बेर की झाड़ी और कैक्टस जैसे पौधे भी उगते हैं, जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है.
कहां पाई जाती है बलुई मिट्टी
बलुई मिट्टी शुष्क जलवायु वाले इलाकों में ज्यादा पाई जाती है. राजस्थान के पश्चिमी भाग में, मुख्य रूप से जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, जोधपुर, जालौर, पाली और नागौर जिलों में आपको बलुई मिट्टी मिल जाएगी. राजस्थान के अलावा पंजाब के दक्षिणी-पश्चिमी भाग, हरियाणा के पश्चिमी भाग, और गुजरात के उत्तरी भाग में भी बलुई मिट्टी पाई जाती है.