कपास की इन टॉप 5 वैरायटी से करें खेती, मिलेगी हाई क्वालिटी फसल
किसान अगर उन्नत बीज की किस्मों का चुनाव करें, तो कपास की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

भारत में कपास को ‘सफेद सोना’ कहा जाता है, क्योंकि यह किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है. भारत कपास उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है और यह एक महत्वपूर्ण नकदी फसल मानी जाती है. खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही किसान इसकी बुवाई करने लगते हैं.
किसान अगर उन्नत बीज की किस्मों का चुनाव करें और फसल की उचित देखभाल की जाए, तो कपास की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अगर आप भी कपास की खेती का मन बना रहे हैं, तो जानिए कौन सी किस्में रहेंगी खेती के लिए बेस्ट.
कपास की सबसे उन्नत किस्में
1. सुपरकॉट BGII 115
इस किस्म की फसल चूसक कीड़ों के प्रति सहनशील होती है. साथ ही इसकी खेती सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है. कपास की बुवाई के 160-170 दिनों में फसल तैयार हो जाती है. इससे प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है.
2. रासी आरसीएच 773
इस किस्म के पौधे हरे भरे होते हैं और रस चूसने वाले कीड़ों के प्रति सहनशील भी. यह हल्की और मध्यम भूमि के लिए उपयुक्त होती है. कपास की प्रति एकड़ बुवाई से 20-22 क्विंटल उत्पादन मिल जाता है.
3. इंडो उस 936 BGII
किसान कपास की इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार की जमीन पर कर सकता है. ये किस्म चूसक कीड़ों से सुरक्षित रहती है. इसकी फल को तैयार होने में 155-160 दिनों तक का समय लगता है. जिससे प्रति एकड़ 15-20 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है.
4. अजीत 199 BG II
इस किस्म की फसल 145-160 दिनों में तैयार हो जाती है और इस पर चूसक कीड़ों का असर नहीं होता है. इसकी खेती से किसानों को प्रति एकड़ 22-25 क्विंटल उत्पादन मिल सकता है.
5. महिको बाहुबली MRC 7361
किसान इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में कर सकते हैं. यह मध्यम समय में पकने वाली किस्म है, जिस पर चूसक कीड़ों का प्रभाव नहीं पड़ता है. इससे किसानों को प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल का उत्पादन मिलता है.
कपास की अच्छी उपज के लिए सुझाव
-बुवाई के पहले बीज उपचार करें ताकि फसल बीमारियों से बची रहे.
-समय-समय पर सिंचाई करते रहें, खासकर फूल आने के दौरान.
-खेत में जैविक खाद और सही मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल करें.
– फसल को चूसक कीड़ों से बचाने के लिए नियमित निगरानी करें.