किसानों के लिए वरदान से कम नहीं सहकारिता विभाग- जानिए इसके क्या क्या काम?

सहकारिता मंत्रालय का उद्देश्य देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाना है. यह मंत्रालय गांव-गांव तक सहकारी समितियों को पहुंचाने का कार्य कर रहा है.

किसानों के लिए वरदान से कम नहीं सहकारिता विभाग- जानिए इसके क्या क्या काम?
Updated On: 2 Mar, 2025 | 10:25 AM

भारत में सहकारिता आंदोलन किसानों, मजदूरों और समाज के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह आंदोलन न केवल किसानों को सशक्त बना रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रहा है. सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को लोन, बीज, उर्वरक और अन्य आवश्यक संसाधन आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे उनकी कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ रही है.

इसके साथ ही, उनकी उपज का उचित मूल्य निर्धारित कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा भी दी जा रही है. इस प्रकार, सहकारिता आंदोलन ग्रामीण जीवन को समृद्ध बनाने और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है.

सहकारिता आंदोलन का इतिहास और महत्व

-भारत में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत 1904 में हुई थी.
-यह मॉडल भारतीय जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.
-सहकारी समितियों ने किसानों को सूदखोर महाजनों के चंगुल से मुक्त कराया है.
-इन समितियों के जरिये गन्ना, दुग्ध, उद्योग, आवास और हथकरघा क्षेत्र का विकास किया जाता है.
-मजदूरों के संगठन और उनके कल्याण में भी सहकारी समितियां अहम भूमिका निभाती हैं.

सहकारिता मंत्रालय की भूमिका

भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय का उद्देश्य देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाना है. यह मंत्रालय गांव-गांव तक सहकारी समितियों को पहुंचाने का कार्य कर रहा है. उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सहकारिता विभाग किसानों के लिए कई योजनाएं चला रहा है.

उदाहरण के लिए: प्रारंभिक कृषि लोन सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को ₹3 लाख तक का लोन कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है. सहकारी समितियां किसानों को नियमित भुगतान करने में मदद करती हैं.

IFFCO: सहकारिता मॉडल का प्रमुख उदाहरण

IFFCO (Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited) सहकारी मॉडल की सफलता का एक उदाहरण है. यह न केवल किसानों को उर्वरक प्रदान करता है, बल्कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायक है.

Published: 28 Feb, 2025 | 10:27 AM

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