फसल पर नहीं होगा खराब मौसम का असर, हाई क्वालिटी बीज खत्म करेंगे संकट
केंद्र सरकार का जलवायु अनुकूल किस्मों को किसानों तक पहुंचाने पर जोर है. ताकि, उपज में बढ़ोत्तरी की जा सके और किसानों को बेमौसम बारिश, ज्यादा तापमान जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.

किसानों की उपज बढ़ाने के साथ ही जलवायु बदलाव से नुकसान बचाने के लिए बॉयोफर्टिफाइड किस्मों के वितरण की तैयारी कर ली है. फसलों की खास 2900 किस्मों के बीजों के विकास और किसानों तक वितरण के लिए केंद्र ने बीज उत्पादक सेंटर्स को सरकारी बीज नियामकों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. किसानों को बीज की जल्दी आपूर्ति के लिए रबी 2024-25 से पर्याप्त मात्रा में बीज उत्पादन और खरीफ 2025 के लिए प्रॉसेसिंग की योजना बनाई गई है.
केंद्र सरकार का जलवायु अनुकूल किस्मों को किसानों तक पहुंचाने पर जोर है. ताकि, उपज में बढ़ोत्तरी की जा सके और किसानों को बेमौसम बारिश, ज्यादा तापमान जैसी प्राकृतिक समस्याओं से होने वाले नुकसान से बचाया जा सके. कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के जरिए अधिक उपज देने वाली और जलवायु-अनुकूल के साथ ही बॉयोफर्टिफाइड किस्मों का विकास किया जा रहा है.
बीज उत्पादक केंद्र किसानों तक पहुंचाएंगे किस्में
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री के अनुसार किसानों को बीज की जल्दी आपूर्ति के लिए रबी 2024-25 से पर्याप्त मात्रा में ब्रीडर बीज उत्पादन और खरीफ 2025 के लिए प्रॉसेसिंग की योजना बनाई गई है. सभी बीज उत्पादकों, बीज किस्म विकास केंद्रों को निर्देश दिया गया है कि वे उपलब्ध बीज स्टॉक को राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससीएल), राज्य बीज निगमों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निजी क्षेत्र, एफपीओ और अन्य एजेंसियों के साथ साझा करें ताकि किसानों को इन किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जा सकें.
आईसीआर ने विकसित की हैं 2900 बेस्ट किस्में
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार साल 2014-2024 के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नेतृत्व में आईसीएआर संस्थानों और राज्य, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों सहित राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) ने 2900 स्थान विशेष उन्नत और हाईब्रिड फसल किस्में विकसित की हैं. इन किस्मों में अनाज की 1380 किस्में शामिल हैं. जबकि, तिलहन की 412 और दलहन की 437, फाइबर फसलों की 376, चारा फसलों की 178, गन्ने की 88 और अन्य फसलों की 29 किस्में शामिल हैं.
2661 किस्में रोगों और विपरीत मौसम झेलने में सक्षम
2900 किस्मों में से 2661 किस्में एक या अधिक जैविक या अजैविक तनावों रोगों को झेलने में सक्षम हैं. इनमें से 537 किस्मों को चरम जलवायु बदलाव वाले इलाकों में खेती के लिए तैयार किया गया है. इसी प्रकार बागवानी फसलों में पिछले 10 साल के दौरान कुल 819 किस्मों को जारी और लिस्ट किया गया है. इनमें बारहमासी मसाले (60), बीज मसाले (49), आलू और उष्णकटिबंधीय कंद फसलें (71), बागान फसलें (26), फल फसलें (123), सब्जी फसलें (429), फूल और अन्य सजावटी पौधे (53) तथा औषधीय और सुगंधित पौधे (8) शामिल हैं. इनमें से 19 किस्में बायोफर्टिफाइड हैं.
152 बायोफर्टिफाइड किस्मों की बुवाई कर रहे किसान
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार बीते 10 साल में किसानों को 152 बायोफर्टिफाइड किस्में जारी की गई हैं. इनमें चावल की 14 बायोफर्टिफाइड किस्में शामिल हैं. जबकि, गेहूं की 53, मक्का की 24, मोटे अनाज की 26, तिलहन की 21, दालों की 9 और अनाज चौलाई की 5 किस्में भी शामिल हैं. वर्तमान में किसान इन बायोफर्टिफाइड किस्मों की बुवाई कर अधिक उत्पादन हासिल कर रहे हैं.
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