जहां देश भर के शहर इस हरियाली के संकट से जूझ रहे हैं, वहीं बीकानेर जैसे शुष्क और मरुस्थलीय क्षेत्र में एक शख्स ने न केवल हरियाली उगाई है, बल्कि जलवायु-स्थायित्व का एक जीवंत मॉडल भी प्रस्तुत किया है.
बुंदेलखंड के बांदा में रामबाबू तिवारी और ग्रामीणों ने सूखे तालाबों को जिंदा कर 500 बीघा जमीन पर मेड़बंदी की, खेतों में नमी और हरियाली लौटाई. तालाब महोत्सव और पानी चौपाल जैसे शानदार प्रयास जल संरक्षण को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं.
अब भेड़ और बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए के लिए IDBI बैंक 50 लाख रुपये तक का लोन दे रही है. यह स्कीम से पशुपालकों के लिए मददगार साबित हो सकती है.
उत्तराखंड के चार सीमावर्ती जिलों के पशुपालकों ने इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को मांस और मछली की आपूर्ति करके मात्र पांच महीनों में 2.6 करोड़ रुपये की कमाई की है.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 24 हजार महिलाएं दूध क्रांति की अगुआ बन रही हैं. सृजनी एमपीओ के जरिए 810 गांवों के पशुपालकों को दूध का 10 रुपये प्रति लीटर ज्यादा दाम मिल रहा है.
खेत में लगी दलहनी फसलों के साथ-साथ हर तरह की फसल के लिए एन.पी.के (N.P.K) यानी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम बहुत जरूरी होता है.