अमेरिकी संतरा-नींबू की वैरायटी बढ़ाएंगी किसानों की कमाई, 17 किस्में लाया ICAR
संतरा और नींबू की खेती को बढ़ावा देने के लिए आईसीएआर और नागपुर संतरा संस्थान अमेरिका की नई किस्मों को भारत लाया है. इन किस्मों के जरिए भारत में उत्पादन और क्वालिटी को बेहतर करने की योजना है.

भारतीय फल किसानों की आय और उपज बढ़ाने के साथ क्वालिटी बेहतर करने के लिए नागपुर स्थित आईसीएआर-सीसीआरआई ने अमेरिका की उत्कृष्ट संतरा किस्मों को पेश किया है. इन 17 किस्मों को कैलिफोर्निया के रिवरसाइड स्थित संयुक्त राज्य कृषि विभाग (यूएसडीए) के राष्ट्रीय क्लोनल जर्मप्लाज्म रिपोजिटरी से लाया गया है. इनमें मीठे संतरे की 6 किस्में शामिल हैं. जबकि, 3 किस्में मंदारिन की , टेंजेलो और टैंग की हाइब्रिड किस्म और ऑस्ट्रेलियाई फिंगर लाइम और चार रूटस्टॉक्स किस्में भी शामिल हैं. सीसीआरआई के निदेशक दिलीप घोष के अनुसार इससे जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाले खतरों से निपटा जा सकेगा, साथ ही भारतीय नींबू और संतरा उत्पादकों के लिए बाजार के अवसरों का भी विस्तार होगा.
भारत में साइट्रस खेती में आएगी क्रांति
सीसीआरआई के निदेशक दिलीप घोष ने बताया कि इस पहल के पीछे फलों की गुणवत्ता में सुधार, उनकी उपजी में वृद्धि, फलों को जलवायु के अनुकूल बनाना है. ताकि भारत के साइट्रस उद्योग में क्रांति लाई जा सके.भारतीय साइट्रस उत्पादकों के लिए बाजार के अवसरों का विस्तार करना भी इस पहल का उद्देश्य है. इसके साथ ही इस पहल के जरिए भारतीय साइट्रस फलों की किस्मों को बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय राज्य तक पहुंचाने की कोशिश भी की जाएगी. अगर ऐसा होता है भारत के वो किसान जो इनकी खेती करते हैं वे आर्थिक तौर पर मजबूत बनेंगे. बता दें कि इन 17 किस्मों की मदद से भारत में साइट्रस खेती के तरीकों में क्रांति आ सकती है.
17 किस्मों से बढ़ेगी किसानों की कमाई
सीसीआरआई के निदेशक दिलीप घोष ने बताया कि इन 17 किस्मों को भारत के अलग-अलग कृषि क्षेत्रों में परीक्षण करने से पहले, नागपुर में एक साल के लिए निगरानी में रखा गया है. बता दें कि इन किस्मों में हर किस्म को उनकी खासियत के आधार पर चुना गया है. इन सभी किस्मों के आयात को सुविधाजनक और आसान बनाने की भी पूरी कोशिश की गई है. ऐसे में अगर भारत में इन 17 किस्मों की खेती होने लगी तो यहां के किसानों के लिए यह फायदे का सौदा होगा. किसान अर्थिक तौर पर मजबूत और स्वावलंबी बनेंगे.
भारतीय किस्मों की चुनौतियां
भारत में बड़े पैमाने पर भारतीय साइट्रस किस्मों की खेती की जाती है. लेकिन कई बार कुछ चुनौतियों के कारण ये किस्में खराब हो जाती हैं तो और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी मांग भी कम हो जाती है. जैसे- महाराष्ट्र का लोकप्रिय मोसंबी और मीठे संतरे की अकसर खराब रंग और कम रस के कारण सही से पैदावार नहीं हो पाती है. जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में वेलेंसिया और नाभि संतरे जैसी प्रीमियम किस्में हावी इसपर हो जाती हैं. ऐसा ही कुछ नागपुर के मैंडरिन के साथ होता है. नागपुर के मैंडरिन को कम शेल्फ लाइफ और साइट्रस ग्रीनिंग और फाइटोफ्थोरा जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण वैश्विक बाजार में इनकी पहुंच सिमट कर रह गई है.