Banarasi Langda Mango: स्वाद, परंपरा और मुनाफे की अनूठी कहानी समेटे है ये खास आम

लंगड़ा आम की उत्पत्ति बनारस से हुई थी और इसकी खासियत है कि पकने के बाद भी इसका छिलका हरा रहता है. इसकी मांग देश और विदेश में बढ़ रही है और इसकी खेती किसानों के लिए कमाई का अच्छा विकल्प है.

Banarasi Langda Mango: स्वाद, परंपरा और मुनाफे की अनूठी कहानी समेटे है ये खास आम
नोएडा | Updated On: 17 Apr, 2025 | 11:10 AM

बनारस, जिसे काशी या वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है. यह शहर न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता बल्कि यहां आम की एक खास किस्म भी काफी मशहूर है, जिसे लंगड़ा आम के नाम से जाना जाता है. यह किस्म करीब 250 से 300 साल पुराना इतिहास भी है. इस आम की खासियत यह है कि पकने के बाद भी इसका छिलका हरा ही रहता है, और इसका स्वाद इतना रसीला और मीठा होता है कि इसकी मांग अब देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ती जा रही है. तो आइए जानते हैं आम के इस किस्म की कुछ अहम बातें.

लंगड़ा आम की ऐतिहासिक विरासत

लंगड़ा आम की उत्पत्ति बनारस की पावन भूमि से हुई थी, और आज यह आम बिहार, पश्चिम बंगाल, और यहां तक कि बांग्लादेश में भी उगाया जाता है. लेकिन इसकी असली और शुद्ध मिठास आज भी बनारस की मिट्टी में ही महसूस होती है. यही कारण है कि जब भी आम के मौसम की बात होती है, तो बनारस के लंगड़ा आम का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. वहीं उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इसे ‘मालदा आम’ के नाम से भी जाना जाता है, खासतौर पर पटना के दीघा क्षेत्र और पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में. यह आम की पहचान ना सिर्फ इसके स्वाद बल्कि इसकी विरासत के कारण भी बेहद खास मानी जाती है.

खास हरा रंग और स्वाद का मेल

लंगड़ा आम की खास बात यह है कि इसे सिर्फ ताजा फल की तरह ही नहीं खाया जाता, बल्कि इसका उपयोग कई तरह की डिशेज़ में किया जा सकता है. इसके गूदे रेशे रहित होते है और छोटे बीज होने के कारण यह फ्रूट सलाद, मिठाइयों, स्मूदीज़, शेक और लस्सी के रूप में भी काफी पसंद किया जाता है.

इसके अलावा ॉएक और खास बात यह भी है की इसके छिलके पतले होने के साथ पीले नहीं होते बल्कि हरे ही रह जाते हैं. जहां बाकी आम पकने पर पीले या लाल हो जाते हैं, वहीं लंगड़ा आम अपनी हरी त्वचा के साथ भी स्वाद में थोड़ा खट्टा-मीठा होता है. यही वजह है कि इसकी पहचान बाकी आमों से बिलकुल अलग होती है. इसकी फसल जून के मध्य से जुलाई के अंत तक तैयार हो जाती है.

2 साल पहले मिला जीआई टैग

बनारसी लंगड़ा आम को जीआई टैग 3 अप्रैल 2023 में मिला है. इसके साथ ही इसकी मांग देश विदेशी में भी तेजी से बढ़ी रही है. वैसे तो इस किस्म को 2000 दशक के मध्य से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलने लगी थी. इसी कारण इस किस्म की यूएई, सऊदी अरब और यूके जैसे देशों में इसके मांगे अधिक बढ़ रही है.

कमाई के नजरिए से शानदार विकल्प

आज के समय में जब हर कोई खेती में मुनाफे की संभावना तलाश रहा है, तो वहीं लंगड़ा आम की खेती एक बेस्ट ऑप्शन बनकर उभरी है. इसकी बढ़ती मांग और प्रीमियम कीमत किसान और निवेशक दोनों की इसमें दिलचस्पी बढ़ा रहा है. अगर सही देखरेख और तकनीक से खेती की जाए, तो 5 से 7 वर्षों में यह बागान सालाना 20-30 फीसदी का रिटर्न दे सकता है. इसकी मांग और दाम दोनों लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे आने वाले समय में यह किसानों के लिए और भी फायदेमंद हो सकता है.

 

Published: 17 Apr, 2025 | 09:30 AM

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