खीरे की खेती से हर साल 10 लाख रुपये कमा रहा राजस्थान का यह किसान
राजस्थान के झुंझुनूं जिला जो राजधानी जयपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर है, वहां के किसान यशपाल बलौदा पॉलीहाउस में खीरा उगाकर कामयाबी की नई मिसाल कायम कर रहे हैं.

राजस्थान के किसान पिछले कुछ वर्षों में पारंपरिक खेती को छोड़कर दूसरे विकल्पों की तरफ शिफ्ट हुए हैं. उन्हें अब इसमें सफलता भी मिलने लगी है. इन किसानों के बीच खीरे की खेती के लिए एक नए तरह का उत्साह देखने को मिला है. पॉलीहाउस या शेड नेट हाउस में किसान खीरा उगा रहे हैं और अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. इसके अलावा उन्हें खीरे की खेती में अच्छा-खासा फायदा भी हर साल हो रहा है. खीरे की खेती करने वाले किसानों की सफलता के बारे में हर कोई चर्चा कर रहा है. आज हम आपको यहां के एक ऐसे ही किसान के बारे में बताने जा रहे हैं.
पॉलीहाउस में उगाया खीरा
राजस्थान के झुंझुनूं जिला जो राजधानी जयपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर है, वहां के किसान यशपाल बलौदा पॉलीहाउस में खीरा उगाकर कामयाबी की नई मिसाल कायम कर रहे हैं. यशपाल उन किसानों में शामिल हैं जो खेती के आधुनिक तरीकों को अपनाकर अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं. यशपाल झुंझुनूं जिले के खुड़िया के रहने वाले हैं. राजस्थान पत्रिका की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने चार बीघा में पॉली हाउस में खीरे की खेती की है. अब इस खेती से उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा भी मिल रहा है.
खीरे की खेती में ज्यादा मुनाफा
यशपाल के अनुसार खीरे की फसल में उन्हें बाकी फसलों की तुलना में ज्यादा मुनाफा मिल रहा है जबकि इसमें लागत भी कम है. आज से दो साल पहले यशपाल ने सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी की मदद से पॉली हाउस शुरू किया था और इसमें खीरे की फसल उगाई थी. यशपाल की मानें तो आज खीरे की खेती से हर साल वह 10 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. अब वह अपने बाकी साथी किसानों को भी खीरे की खेती करने के लिए कह रहे है.
सब्सिडी से बड़ी मदद
यशपाल ने सब्सिडी पर पॉली हाउस लगाया था और उस पर उन्होंने करीब 38 लाख 70 हजार रुपये खर्च किए थे. सरकार की तरफ से उन्हें 23 लाख 63 हजार की सब्सिडी मिल गई थी. और उन्हें 15 लाख रुपये खर्च करने पड़े थे. पॉलीहाउस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आंधी-तूफान से यह प्रभावित नहीं होता है. यशपाल ने बारिश के मौसम में पॉली हाउस से पानी को एक प्रकार के टैंक डिग्गी में कलेक्ट कर लिया था और साल भर इसे ड्रिप इरीगेशन के लिए प्रयोग किया था.
कम पानी में ज्यादा उपज
पॉलीहाउस खेती में पानी की बहुत कम जरूरत होती है. यशवाल खीरे के खेत को हर दूसरे दिन बस 15 मिनट में ही सींच लेते हैं. यशपाल ने जनवरी में खीरे की फसल लगाई थी और मार्च के पहले हफ्ते में ही रेडी हो गई. जुलाई में वह जो फसल लगाते हैं, वह बस 35 दिन में उपज देने लगती है. जबकि सर्दी में फसल 150 दिन और गर्मी में 120 दिन तक चलती है.