रेगिस्तानी गुलाब से हर साल 60 लाख की कमाई कर रहे तिरुवल्लूर के जालंधर
तिरुवल्लूर में जालंधर करीब 15 एकड़ क्षेत्र में रेगिस्तानी गुलाब के पौधे (एडेनियम) उगाते और बेचते आ रहे हैं. छोटी जड़ों वाले पौधों की कीमत 150 रुपये से शुरू होती है. जबकि मोटी जड़ों वाले पौधे 12 लाख रुपये तक बिक सकते हैं.

एक फूल की खेती से किसान किस कदर अमीर बन सकता है, इसकी जीती-जागती मिसाल हैं, चेन्नई के जालंधर. उन्हें 20 साल तक एक फूल की खेती करने के बाद भी कोई खास फायदा नहीं हुआ. फिर उनकी किस्मत बदली और अब हर साल वह इसी फूल से लाखों की कमाई करने लगे हैं. दरअसल जालंधर एक तरह के रेगिस्तानी गुलाब की खेती करते हैं. इसकी खेती से उन्हें हर साल 60 लाख रुपये तक की आमदनी होने लगी है. उनकी सफलता से कई लोग भले ही हैरान हों लेकिन उन्होंने अपने साथियों को प्रभावित किया है.
40 सालों से उगा रहे हैं यह गुलाब
ईटीवी तमिलनाडु की रिपोर्ट के अनुसार चेन्नई के पास तिरुवल्लूर में जालंधर ने पौधे उत्पादन में सफलता की एक नई कहानी लिखी है. तिरुवल्लूर जिले में उथुकोट्टई तालुका के तहत ईसानम कुप्पम नामक एक क्षेत्र है. यहां पिछले 40 सालों से जालंधर करीब 15 एकड़ क्षेत्र में रेगिस्तानी गुलाब के पौधे (एडेनियम) उगाते और बेचते आ रहे हैं. जालंधर ने यहां पर एक खूबसूरत रेगिस्तानी गुलाब का बगीचा तैयार कर लिया है. चिलचिलाती गर्मी की धूप में भी जालंधर, शाही से नजर आने वाले रेगिस्तानी गुलाब की खेती कर लेते हैं.
12 लाख रुपये में बिकते फूल
उन्होंने बगीचे में एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों रेगिस्तानी गुलाब उगा रखे हैं. कुछ गुलाब के पौधों में बड़े और मजबूत तने हैं. वहीं कुछ अभी बहुत ही नाजुक और छोटे बच्चों की तरह कतार में लगे हुए हैं. जालंधर के अनुसार उन्होंने साल 1986 में इस बगीचे की शुरुआत की थी. वह सिर्फ रेगिस्तानी गुलाब के पौधे बेचते हैं. कुल 450 पौधों की किस्मों में से हर रेगिस्तानी गुलाब तीन अलग-अलग फूलों के रूप में खिलता है.
जालंधर के अनुसार छोटी जड़ों वाले पौधों की कीमत 150 रुपये से शुरू होती है. जबकि मोटी जड़ों वाले पौधे 12 लाख रुपये तक बिक सकते हैं. ये रेगिस्तानी गुलाब के पौधे दुनिया में सिर्फ तीन जगहों पर उपलब्ध हैं- चेन्नई, वियतनाम और थाईलैंड- असल में, मोटी जड़ों वाले ऊंचे पौधे जो 12 लाख रुपये तक बिक सकते हैं. जालंधर की मानें तो ये गुलाब इस क्षेत्र के लिए असाधारण हैं.
देखभाल है बहुत ही आसान
जालंधर के अनुसार, इन पौधों की देखभाल भी बहुत आसान है. उनकी मानें तो इन पौधों को हफ्ते में सिर्फ दो बार पानी देने की जरूरत होती है. उन्हें खाद की जरूरत नहीं होती है जब तक कि उन्हें पूरी धूप में रखा जाए. इन गुलाबों को बर्फीले क्षेत्रों को छोड़कर कहीं भी उगाया जा सकता है. इसके अलावा, पिछले कुछ सालों में पौधे की कीमत में भी इजाफा हुआ है. 20 साल तक उन्हें इन फूलों की खेती से कोई फायदा हासिल नहीं हुआ. मगर जालंधर ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार उन्हें अच्छी इनकम होने लगी.
खेती का रिटर्न मिलने में लगता समय
वह जोर देकर यह बात कहते हैं कि इसकी खेती के बाद रिटर्न मिलने में समय लगता है. जालंधर के अनुसार ग्राफ्टिंग से एक ही पौधे पर कई रंग के फूल खिलते हैं जिससे इनकी कीमत थोड़ी बढ़ जाती है. जालंधर के बगीचे में खिले गुलाब केरल, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों में और यहां तक कि विदेशों में भी, खास तौर पर दुबई जैसे अरब देशों में बड़ी मात्रा में बेचे जाते हैं. हाल ही में, तिरुवल्लूर के जिला कलेक्टर प्रताप ने भी उनके बगीचे का दौरा किया था और वह बगीचा देखकर हैरान रह गए थे. जालंधर अब सालाना 50 से 60 लाख रुपये तक कमा लेते हैं. उन्होंने अपने बगीचे में काम करने वाले कर्मचारियों को अपनी सफलता का श्रेय दिया है.
जल्दी नहीं मुरझाते पौधे
जालंधर ने कहा कि अगर इन रेगिस्तानी गुलाब के पौधों को उखाड़कर धूप में भी रख दिया जाए तो ये दो महीने में ही अंकुरित हो जाते हैं. तीन या छह महीने बाद उसी पौधे को फिर से लगाने, मिट्टी में दबाने और पानी देने से भी वही नतीजे मिलेंगे. जालंधर ने बताया कि ये पौधे जल्दी मुरझाते नहीं हैं और इन्हें ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती. उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें तमिलनाडु बागवानी विभाग की तरफ से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 10.65 लाख रुपये की सब्सिडी पर 3,000 वर्ग मीटर की शेड नेट हट मुहैया कराई गई थी. इससे पौधों को उगाने में काफी मदद मिली.