केंद्र सरकार की इस पशुधन योजना के सामने फंड का संकट, टूट सकता है एक सपना!

केंद्र सरकार ने साल 2021 में राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को लॉन्‍च किया था. योजना के पहले तीन वर्षों में ही 2,400 करोड़ रुपए का आवंटित फंड खत्म हो गया है. इस योजना को मार्च 2026 तक पूरा किया जाना है.

केंद्र सरकार की इस पशुधन योजना के सामने फंड का संकट, टूट सकता है एक सपना!
Noida | Updated On: 16 Mar, 2025 | 06:10 PM

 

देशी नस्ल के मवेशियों की दूध उत्पादकता बढ़ाने की केंद्र सरकार की प्रमुख योजना पिछले दो सालों से फंड की कमी से जूझ रही है. इससे भारत के दुनिया के एक तिहाई दूध उत्पादन का केंद्र बनने के सपने को झटका लग सकता है. केंद्र सरकार ने साल 2021 में राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को लॉन्‍च किया था. इसे देशी नस्लों की उत्पादकता बढ़ाने और कृत्रिम गर्भाधान (एआई) के माध्यम से दूध उत्पादन में वृद्धि करने के लिए पांच वर्षों में लागू किया जाना था. मगर अब इस योजना के सामने फंड का संकट आ गया है.

1000 करोड़ रुपये की और जरूरत

द न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस ने एक अधिकारी के हवाले से पिछले दिनों लिखा, ‘ योजना के पहले तीन वर्षों में ही 2,400 करोड़ रुपए का आवंटित फंड खत्म हो गया है. हमारे विभाग की योजना में ऐसा शायद ही कभी होता है जब शत-प्रतिशत फंड का इस्तेमाल किया जाता है.’ अधिकारी की तरफ से कहा गया है कि योजना के तहत काम पूरा करने के लिए कम से कम अतिरिक्त 1,000 करोड़ रुपये की जरूरत है. सीमांत पशुपालकों की मांग बढ़ रही है जो अपनी आजीविका के लिए दूध उत्पादन पर निर्भर हैं. इस वजह से ही फंड की कमी आ रही है.

3 साल में ही खत्‍म हुई रकम

साल 2025-26 के बजट में आरजीएम योजना के तहत आवंटन जीरो था. पिछले साल संशोधित अनुमानों में 268 करोड़ रुपये का बजट अलॉटमेंट दिखाया गया है. योजना के पहले तीन वर्षों में आवंटित 2,400 करोड़ रुपये खत्म हो गए. इसने अपने लक्ष्य का 80 फीसदी हासिल कर लिया. अब तक, कार्यक्रम ने 8.52 करोड़ सफल कृत्रिम गर्भाधान किए हैं, जिसका कुल लक्ष्य 10 करोड़ से अधिक मवेशियों का है.

इस योजना को मार्च 2026 तक पूरा किया जाना है. इस योजना से 5 करोड़ से ज्‍यादा छोटे और सीमांत किसानों को फायदा मिला है. इससे उनका दूध उत्पादन और आय बढ़ी है. यूपी के किसानों को दूसरे राज्यों से ज्‍यादा फायदा हुआ है. योजना के आंतरिक मूल्यांकन से पता चला है कि AI ने छोटे और सीमांत किसानों के दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद की है.

भारत के सपने को लगेगा झटका!

दूध उत्पादन भारत के सकल घरेलू उत्पाद में करीब पांच फीसदी का योगदान देता है. आठ करोड़ से ज्‍यादा किसानों, विशेष रूप से छोटे, सीमांत और महिला किसानों को रोजगार देता है. वर्तमान में भारत दुनिया में शीर्ष दूध उत्पादक है, जो दुनिया के कुल दूध उत्पादन में 25 फीसदी का योगदान देता है. इसका लक्ष्य दूध उत्पादन को एक तिहाई तक बढ़ाना है. पशुपालन और डेयरी विभाग के एक अधिकारी के अनुसार वित्तीय संकट 2030 तक वैश्विक दूध उत्पादन का एक तिहाई हासिल करने के भारत के लक्ष्य को प्रभावित कर सकता है.

 

Published: 17 Mar, 2025 | 11:10 AM

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