महाराष्ट्र में गाय-भैंस हो रहीं हीटस्ट्रोक का शिकार, जानें इसके लक्षण और उपचार
गर्मी का असर जानवरों पर भी होता है. हीटस्ट्रोक के समय उनके शरीर का तापमान 103 डिग्री से 110 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ जाता है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो जानवर की मौत तक हो सकती है.

महाराष्ट्र में इन दिनों तापमान बढ़ता जा रहा है और कुछ जिलों में तो यह 40 के करीब पहुंच गया है. पशुपालक काफी परेशान हैं. जानवरों में हीटस्ट्रोक के केसेज बढ़ते जा रहे हैं. वहीं विशेषज्ञ पशुपालकों से अपील कर रहे हैं कि वो जानवरों में जैसे ही हीटस्ट्रोक के लक्षणों को देखें, वैसे ही उनका इलाज कराएं. इसके साथ ही पशुपालकों को कुछ खास टिप्स भी दिए गए हैं जिनकी मदद से वो जानवरों को हीटस्ट्रोक से बचा सकते हैं.
हीटस्ट्रोक से हो सकती है मौत भी!
महाराष्ट्र में इन दिनों कई हिस्सों से जानवरों में हीट स्ट्रोक की खबरें आ रही हैं. गर्मी का असर जानवरों पर भी होता है. हीटस्ट्रोक के समय उनके शरीर का तापमान 103 डिग्री से 110 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ जाता है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो जानवर की मौत तक हो सकती है.
गर्मियों में जानवरों को लू लगना या फिर हीट स्ट्रोक होना साधारण बात है. मगर फिर भी कुछ पशुपालक लक्षणों को समय रहते समझ नहीं पाते हैं. अगर जानवर एक ही जगह पर खड़ा है, बेचैन है या फिर बैठ जाता है, तो उसकी हालत ठीक नहीं है. ऐसे में उन्हें तुरंत उपचार की जरूरत होती है. साथ ही गौशाला में उनके उपचार के लिए उपाय किए जाने चाहिए.
कैसे और क्यों होता है हीटस्ट्रोक
जानवरों को अगर सही समय पर खाना न दिया जाए तो वो थक जाते हैं. ऐसे में हीट स्ट्रोक का खतरा बहुत बढ़ जाता है.
साथ ही अगर उनके पीने के पानी का भी ध्यान नहीं रखा जाता है तो फिर उनकी स्थिति बिगड़ सकती है.
जानवर तब बीमारी पड़ते हैं जब उन्हें ताजी हवा न मिले या फिर खेत में बहुत ज्यादा उमस हो.
तेज गर्मी में गाय या फिर भैंसों को बाहर निकालने से उन्हें लू लग सकती है.
गर्मी में काम करके आए जानवरों पर अगर एकदम से ठंडा पानी डाल दिया तो भी वह अस्वस्थ हो सकते हैं.
क्या हैं हीटस्ट्रोक के लक्षण
शरीर का बढ़ा हुआ तापमान हीटस्ट्रोक का पहला लक्षण होता है.
अगर जानवर के दिल की धड़कन बढ़ी हुई है या फिर वह हांफ रहा या मुंह से सांस ले रहा है तो भी बीमार होने के लक्षण है.
उनकी स्किन ड्राई हो जाती है और गर्म बनी रहती है. जानवर खाना या फिर चारा खाना बंद कर देता है.
बहुत ज्यादा पसीना आता है और मुंह से लगातार लार बहने लगती है.
जानवर हमेशा प्यासा रहता है. वह पानी में बैठने की कोशिश करता है या फिर पानी पीने की कोशिश करता है.
तापमान बढ़ जाता है और जानवर हांफने लगता है. चलते समय अगर वह बेहोश हो जाता है तो भी यह हीटस्ट्रोक का लक्षण है.
पसीने और पानी की कमी से शरीर में पानी और नमक का संतुलन बिगड़ जाता है.
नमक की कमी से जानवरों की पानी पीने की इच्छा नहीं होती है.
अगर हीटस्ट्रोक बहुत गंभीर है तो फिर जानवर के पेट में दर्द होगा. जानवर, अपने पैरों को मारता है.
पेशाब रुक-रुक और गोबर मोटा होता है.
गर्भवती गाय और भैंसों में गर्भपात होने की आशंका भी रहती है.
कैसें बचाएं जानवरों को
जहां जानवर हैं, वहां छत को सफेद रंग से पेंट कर देना चाहिए और फर्श काले रंग से पेंट कर दें. ऐसा करने से उमस से बचा जा सकता है.
जानवर के शरीर पर दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए.
अगर संभव हो सके तो इसके लिए फॉगर सिस्टम का प्रयोग भी कर सकते हैं.
गौशालाओं में पंखों और कूलर का इंतजाम करें ताकि हवा बराबर रहे.
दोपहर में गर्मी का प्रभाव कम करने के लिए पानी में भीगे हुए टाट को पर्दे के तौर पर प्रयोग करना चाहिए ताकि शाला ठंडी रह सके.
दुहने से पहले दिन में दो बार अगर जानवरों को पानी से नहलाया जाए तो भी तनाव कम होता है और दूध का उत्पादन ज्यादा होता है.
नियमित तौर पर 30 से 50 ग्राम तक रॉक सॉल्ट या फिर मिनिरल सॉल्ट का प्रयोग डाइट में करें.
जानवरों को पीने के लिए ठंडा और साफ पानी दें. शरीर और पीठ पर ठंडा पानी डालें.
अगर जानवर खाना नहीं खा रहा है तो फिर उन्हें गुड़ की कुछ मात्रा दें ताकि वह उसे चाटता रहे.