गर्मी में मुर्गियों की देखभाल बनी चुनौती, हीटवेव से बचाने के एक्सपर्ट ने बताए उपाय
हीटवेव में अगर पोल्ट्री फार्म की मुर्गियों को सही समय पर आहार और ताजा पानी न दिया जाए, तो उत्पादन घट सकता है और जान तक का खतरा बढ़ सकता है. जानिए पशुपालन विशेषज्ञ कुंवर घनश्याम ने किसानों को क्या टिप्स दिए.

तेज धूप और बढ़ते तापमान ने अब पोल्ट्री फार्म चलाने वालों की टेंशन बढ़ा दी है. विशेषज्ञों की मानें तो जब तापमान 40 सेंटीग्रेड से ऊपर चला जाए, तो मुर्गियों को लू लगने, तनाव बढ़ने और प्रोडक्शन में गिरावट का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में सिर्फ शेड बनाना ही काफी नहीं है, बल्कि यह भी जानना जरूरी है कि मुर्गियों को कब खाना देना है, कब पानी देना है और कैसे वेंटिलेशन बनाए रखना है. कृषि विज्ञान केंद्र गौतमबुद्धनगर में पशुपालन विशेषज्ञ कुंवर घनश्याम ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि टीन शेड का इस्तेमाल से बचें, सीमेंट वाली छत का इस्तेमाल करें.
दाना देने का सही समय क्या है?
गर्मी में मुर्गियों को दाना सुबह जल्दी और शाम को ठंडी हवा चलने के बाद ही देना चाहिए. एक्सपर्टों का मानना है कि दोपहर के 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक दाना देने से बचाना चाहिए. क्योंकि इस समय पेट भरना मुर्गियों पर गर्मी का ज्यादा दबाव डालता है. इससे बचने के लिए मुर्गियों के आहार में विटामिन C और E ज्यादा मात्रा में देना चाहिए. साथ ही दाने में एनर्जी की मात्रा थोड़ी कम और फाइबर थोड़ा बढ़ाना भी लाभकारी माना गया है. जिससे मुर्गियों को हीट स्ट्रेस से बचाया जा सके.
ठंडा और साफ पानी है सबसे जरूरी
मुर्गियों को गर्मी में ज्यादा पानी की जरूरत होती है. हर दिन उन्हें ताजा, साफ और ठंडा पानी देना चाहिए. एक्सपर्टों कि माने तो मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल सबसे बेहतर होता है, क्योंकि उसमें रखा पानी को देर तक ठंडा रखता है. ध्यान देने की जरूरत यह है कि प्लास्टिक, जिंक या स्टील के बर्तन में पानी देने से बचना है, क्योंकि यह पानी को गर्म कर देते हैं. इसके अलावा पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स मिलाना और हर 3-4 घंटे में पानी बदलना भी फायदेमंद है.
वेंटिलेशन और स्पेस का ध्यान रखें
शेड में वेंटिलेशन बनाए रखने के लिए पंखे चलाएं और खिड़कियों को खुला रखें. ध्यान देने की बात यह है कि दिन में 3-4 बार शेड पर पानी का छिड़काव करें, ताकि तापमान 5 से 10 डिग्री तक कम हो सके. साथ ही ओवरक्राउडिंग से बचें गर्मी में मुर्गियों की संख्या कम करें, ताकि वे खुलकर सांस ले सकें. इसके अलावा अगर संभव हो तो थर्मल इंसुलेशन शीट या बांस की चटाइयों का इस्तेमाल भी तापमान नियंत्रित करने में मदद करता है.
पशुपालन एक्सपर्ट ने क्या कहा
कृषि विज्ञान केंद्र गौतमबुद्धनगर में पशुपालन विशेषज्ञ कुंवर घनश्याम ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि टीन शेड का इस्तेमाल से बचें, सीमेंट वाली छत का इस्तेमाल करें. इसकी छत पर फसल अवशेष का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस पर पानी का छिड़काव करें. जबकि, शेड के साइड में जालियों पर जूट की बोरियों का इस्तेमाल कर सकते हैं और पानी का छिड़काव करना है. बार-बार पानी के छिड़काव करने के लिए इरीगेशन पाइप लगा सकते हैं, जिससे हल्का छिड़काव होता रहता है. उन्होंने कहा कि पशुपालकों को ध्यान रखना होगा कि इस समय शेड में गर्म हवा बिल्कुल भी न घुस सके. क्योंकि, चाहें मुर्गियां हों या बकरी या दूसरे पशु हों, इस वक्त की गर्म हवा उनकी सेहत खराब कर सकती है.