सावधान! आपके पशुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ये जहरीला चारा
गर्मियों में हरा चारा पानी की कमी को पूरा करता है और पशुओं को ताजगी देता है. लेकिन बारिश या ठंड के मौसम में, या जब खेतों में अत्यधिक उर्वरकों का इस्तेमाल होता है.

दूध देने वाले पशुओं की सेहत और दूध की क्वालिटी का सीधा संबंध उनके चारे से होता है. अक्सर हम सोचते हैं कि हरा चारा सबसे अच्छा होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वही हरा चारा जहर भी बन सकता है? जी हां, अगर सही तरीके से चारे की पहचान और जांच न की जाए, तो उसमें छुपे जहरीले तत्व आपके पशुओं की सेहत को बिगाड़ सकते हैं.
गर्मियों में हरा चारा पानी की कमी को पूरा करता है और पशुओं को ताजगी देता है. लेकिन बारिश या ठंड के मौसम में, या जब खेतों में अत्यधिक उर्वरकों का इस्तेमाल होता है, तो चारे में ऐसे हानिकारक तत्व पैदा हो जाते हैं जो दूध की मात्रा घटा सकते हैं, और कभी-कभी तो जानलेवा भी साबित हो सकते हैं.
कुछ जहरीले तत्वों की पहचान
धुरिन (Dhurrin): ये ज्वार के चारे में पानी की कमी या ज्यादा नाइट्रोजन के कारण बनता है. इससे दूध कम हो सकता है और अधिक मात्रा में यह जान भी ले सकता है.
ऑक्जेलेट: बाजरा और नेपियर घास में पाया जाता है, जिससे खून की कमी और गुर्दों में पथरी की समस्या हो सकती है.
नाइट्रेट: जई के चारे में उर्वरकों की वजह से बनता है. इसकी मात्रा पशुओं के चारे में अधिक नहीं होनी चाहिए
सैपोनिन: फलीदार चारे में पाया जाने वाला यह तत्व पशुओं में झाग और अफरा जैसी समस्याएं पैदा करता है.
कैसे करें बचाव?
अब सवाल उठता है कि पशुओं को बचाने के लिए आपको किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए. हमेशा पककर तैयार हुआ ही चारा पशुओं को खिलाएं. संतुलित मात्रा में ही हरा चारा दें, जरूरत से ज्यादा कभी नहीं. बारिश या नमी के मौसम में कटाई से पहले चारे की जांच जरूर करें. गोबर की खाद और कंपोस्ट का इस्तेमाल करें, रासायनिक खादों के इस्तेमाल से बचें.