सानेन नस्ल की बकरी ने मचाई धूम, दूध 200 तो घी 3000 रुपये तक बिक रहा

सानेन नस्ल मूल रूप से नीदरलैंड की बकरी है. इसे दुनिया की सबसे अधिक दूध देने वाली बकरी का खिताब हासिल है.

सानेन नस्ल की बकरी ने मचाई धूम, दूध 200 तो घी 3000 रुपये तक बिक रहा
Noida | Published: 27 Mar, 2025 | 10:04 AM

देश में किसान अब पारंपरिक खेती के अलावा बकरी पालन की ओर रुख कर रहे हैं. इससे मिलने वाला दूध और मांस बेचकर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकारें भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कई योजनाओं के तहत सब्सिडी दे रही है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसी किसी विदेशी नस्ल की बकरी के बारे में, जो भैंस से भी ज्यादा दूध देती है? सबसे हैरानी की बात ये है कि इसकी दूध की डिमांड इतनी ज्यादा है कि इसका दूध प्रति किलो 200 रुपए बिक रहा है.

किसानों में मशहूर ये बकरी ‘सानेन नस्ल’ की है, जो अपनी बेहतरीन दूध उत्पादन क्षमता और उच्च गुणवत्ता वाले मांस के लिए जानी जाती है. अगर आप भी बकरी पालन में हाथ आजमाने का सोच रहे हैं, जो जानिए कैसे बकरी की ये नस्ल आपको मालामाल बना सकती है.

क्यों खास है यह बकरी

सानेन नस्ल मूल रूप से नीदरलैंड की बकरी है. इसे दुनिया की सबसे अधिक दूध देने वाली बकरी का खिताब हासिल है. यह बकरी रोजाना 10 लीटर तक दूध दे सकती है, जबकि देसी नस्ल की भैंस सिर्फ 6-8 लीटर दूध देती है. इस बकरी के अधिक दूध उत्पादन और मांस की ऊंची कीमत की वजह से इसे सीमांत किसानों की गाय कहा जाता है.

घी और पनीर की ऊंची कीमत

इस बकरी का दूध जहां 200 रुपए किलो तक बिक रहा है. जबकि इसके दूध से बना पनीर 1000 रुपये प्रति किलो और घी 3000 रुपये प्रति किलो तक बिकता है.

सानेन नस्ल की खासियत

रंग: सफेद
सींग: ऊपर की ओर उठे हुए
कान: खड़े होते हैं
वजन: नर बकरा – 80 किलो | मादा बकरी – 60 किलो
गर्भधारण: सिर्फ 9 महीने में तैयार हो जाती है
दूध की कीमत: 150-200 रुपये प्रति लीटर
मांस की कीमत: 1000-1500 रुपये प्रति किलो

भारत में बढ़ती लोकप्रियता

मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में किसान बड़े स्तर पर सानेन नस्ल की बकरी पालन कर रहे हैं और इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं.

सरकारी सहयोग

सरकार किसानों को सब्सिडी और तकनीकी सहायता देकर इस व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है. यदि आप भी कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो सानेन नस्ल की बकरी पालन एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.

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