भारतीय नस्ल की गाय 41 करोड़ रुपये की बिकी, क्यों घट रही ओंगोल की संख्या?
पशुपालन विशेषज्ञ ने किसान इंडिया को बताया कि गायों की नस्ल और संख्या को बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी बात उनकी देखभाल करना है. उन्होंने कहा कि ओंगोल नस्ल काफी मजबूत होने के साथ ही कद में ऊंची होती है.

भारतीय नस्ल की गाय ओंगोल को दुनिया की सबसे महंगी नस्ल की गाय का दर्जा मिला है. दरअसल, ओंगोल नस्ल की गाय को ब्राजील के बाजार में 41 रुपये में बेचा गया है. ब्राजील में इस सौदेबाजी से भारत के आंध्र प्रदेश के किसान खुश हैं. इस खुशी की वजह यह है कि इस नस्ल की गाय आंध्र प्रदेश के ओंगोल गांव में पाई जाती हैं और इसी वजह से इसका नाम भी ओंगोल है. हालांकि, इसे नेल्लूर के नाम से भी जाना जाता है. इस नस्ल की गायें दूध में आगे हैं तो वहीं बैल ताकत में अन्य नस्लों की तुलना काफी मजबूत होते हैं. ब्राजील में इसका पालन मांस व्यवसाय के लिए अधिक होता है. भारत में इनकी घटती संख्या चिंता का कारण बनी हुई है. कृषि विज्ञान केंद्र गौतमबुद्धनर के पशुपालन विशेषज्ञ ने ‘किसान इंडिया’ को बताया कि गायों की नस्ल और संख्या को बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी बात उनकी देखभाल करना है. उन्होंने कहा कि ओंगोल नस्ल काफी मजबूत होने के साथ ही कद में ऊंची होती है.
ब्राजील में 41 करोड़ रुपये की बिक्री ओंगोल गाय
ओंगोल नस्ल की गाय इन दिनों चर्चा के केंद्र में है और इसकी वजह है उसकी अधिक कीमत और खूबियां. रिपोर्ट के अनुसार बीते फरवरी में ब्राजील देश के मिनस गेरैस में एक ओंगोल शुद्ध नस्ल की गाय वियाटिना-19 को करीब 41 करोड़ रुपये में बेचा गया है. इसलिए इसे दुनिया की सबसे मंहगी गाय कहा जा रहा है. ओंगोल नस्ल भारतीय नस्ल है और ब्राजील में इस नस्ल की गायों की आबादी कुल गायों की तुलना में 80 फीसदी है. हालांकि, भारत में इनकी संख्या कम है. कुछ रिपोर्ट में संख्या में गिरावट आने की बात भी कही गई है. इसके पीछे खेती में इनकी उपयोगिता घटने को भी बड़ी वजह माना जा रहा है. जबकि, भारत के अन्य राज्यों में वातावरण संबंधी दिक्कतों के चलते इसके पालन में दिक्कत भी एक वजह हो सकती है.
आंध्र प्रदेश है ओंगोल गाय का असली घर
ओंगोल नस्ल की गायों का मूल घर भारत है. लेकिन, इन्हें पहले निर्यात किया जाता था, जो बाद में बंद कर दिया गया. आंध्र प्रदेश में इस नस्ल की गायें और बैल किसानों के पास देखने को मिल जाते हैं. यहां गुंटूर में श्री वेंकटेश्वरा वेटरनिटी यूनिवर्सिटी में पशुधन अनुसंधान केंद्र एलएएम फार्म में ओंगोल नस्ल की गायों के संवर्धन और विकास का कार्य किया जा रहा है. इस फार्म में कुछ सप्ताह पहले की ही ओंगोल नस्ल के एक बछड़े के जन्म पर कार्यक्रम भी किया गया है. केंद्र सरकार की ओर से गोकुल मिशन योजना के तहत पशुओं के संवर्धन और संरक्षण किया जा रहा है.
गाय की देखरेख पर क्या बोले पशुपालन विशेषज्ञ
ओंगोल गाय को नेल्लूर गाय के नाम से भी जाना जाता है. आंध्र प्रदेश की इस नस्ल को भारत में दूध उत्पादन और कृषि कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ओंगोल नस्ल की गाय एक ब्यांत में करीब 800 लीटर दूध देती है. उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ कुंवर घनश्याम ने ‘किसान इंडिया’ बताया कि ओंगोल नस्ल की गायें दूध देने और बैल ताकत में काफी मजबूत होते हैं. उन्होंने कहा कि गायों की संख्या बढ़ाने के लिए पशुपालकों को उनकी देखरेख में ध्यान देने की जरूरत होती है ताकि उन्हें बीमारियों से बचाया जा सके और लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सके.
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