पशुओं के लिए हरे चारे का संकट दूर होगा, 30 लाख हेक्टेयर में उगाई जाएंगी चारा फसलें

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि वर्तमान में देश में 11 फीसदी हरित चारे की कमी है. इसके समाधान के लिए तकनीक आधारित उपायों को अपनाने पर जोर दिया.

पशुओं के लिए हरे चारे का संकट दूर होगा, 30 लाख हेक्टेयर में उगाई जाएंगी चारा फसलें
Noida | Published: 6 Apr, 2025 | 01:52 PM

पशुपालकों के लिए हरे चारे की उपलब्धता बड़े संकट के रूप में उभरकर सामने आया है. इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने खाली पड़ी 30 लाख हेक्टेयर जमीन पर घास-चारा फसलों को उगाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके अलावा बागवानी फसलों जैसे नारियल, सेब आदि के बागानों में चारा फसलों की खेती का मॉडल भी विकसित किया गया है. इसको लागू करने के लिए 8 अप्रैल को केरल में बड़ी बैठक होगी, जिसमें देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधि और वैज्ञानिक भी हिस्सा लेंगे.

केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने भारतीय घासभूमि और चारा अनुसंधान संस्थान (ICAR–IGFRI), झांसी पहुंचे और उन्होंने देशभर में चारे की उपलब्धता बढ़ाने को लेकर कार्यों पर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध कार्यों को देखा और चारा फसलों की खेती बढ़ाने पर जोर दिया. पशुओं के लिए हरा चारा उनका दूध उत्पादन बढ़ाने में सबसे अहम भूमिका निभाता है.

देश में 11 फीसदी हरे चारे की कमी

केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि वर्तमान में देश में अनुमानित 11 फीसदी हरित चारे की कमी है. इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस चुनौती का समाधान करने के लिए तकनीक आधारित उपायों को अपनाने की जरूरत है. उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि कमी को दूर करने के लिए नई और जलवायु अनुकूल चारा फसलों पर शोध करने और बीज तैयार करने को भी कहा.

चारा फसलों के लिए 30 लाख हेक्टेयर खाली पड़ी जमीन

उन्होंने बताया कि देशभर में वर्तमान में केवल 85 लाख हेक्टेयर भूमि पर चारा उगाया जा रहा है, जबकि भारत के पास लगभग 1.15 करोड़ हेक्टेयर घासभूमि उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि 30 लाख हेक्टेयर खाली पड़ी जमीन पर चारा फसलों की बुवाई और खेती शुरू की जाए. इसके लिए संस्थान के वैज्ञानिक उन्नत चारा बीजों का इस्तेमाल करें, ताकि चारे की उपलब्धता के संकट को जल्द से जल्द दूर किया जा सके.

10 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि में चारा फसलों की बुवाई होगी

उन्होंने कहा कि लगभग 10 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि है, जिसका कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है. इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग चारे में आत्मनिर्भरता हासिल करने और पशुधन उत्पादकता को बढ़ाने के लिए जरूरी है. उन्होंने IGFRI के चारा विकास और घासभूमि सुधार के लिए देश का प्रमुख ज्ञान और नवाचार केंद्र बनने के लिए प्रोत्साहित किया. पशु आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS), स्थायी उत्पादन के लिए बहुवर्षीय घासों की एपोमिक्टिक प्रजनन तकनीक, चारा बीजों की क्वालिटी मानक और कृषि यंत्रों ड्रोन आधारित घासभूमि तैयार करने पर सराहना की.

बागानों में चारा फसलों के उत्पादन मॉडल पर 9 को बैठक

चारा तकनीकों को राज्यों में अपनाने के लिए राज्य-स्तरीय समन्वय बनाने के निर्देश दिए हैं. कहा गया है कि खाली बागानों जैसे नारियल या सेब या अन्य बागानों की खाली जगहों पर चारा उत्पादन के लिए प्रभावशाली मॉडल बनाया है. इस मॉडल को राज्यों में अपनाने के लिए 8 अप्रैल 2025 को केरल में एक संयुक्त बैठक होगी. इसमें राज्य सरकार, कृषि विज्ञान केंद्रों और IGFRI के वैज्ञानिक शामिल होंगे.

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