किसानों के लिए मुनाफे का सौदा बनी सुरती भैंस, प्रजनन के लिए नर भैसे डिमांड में

सुरती नस्ल की भैंस कम चारा खाकर भी अच्छा दूध देती है, इसलिए किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है.

किसानों के लिए मुनाफे का सौदा बनी सुरती भैंस, प्रजनन के लिए नर भैसे डिमांड में
नोएडा | Published: 8 Apr, 2025 | 02:51 PM

गुजरात की मिट्टी सिर्फ हीरे और गरबा के लिए मशहूर नहीं है, यहां की भैंसें भी कमाल की होती हैं. इन्हीं में से एक है सुरती नस्ल की भैंस. ये भैंस गुजरात के वडोदरा, भरूच, खेड़ा और सूरत जिले में पाई जाती है. इसका नाम भी सूरत शहर से लिया गया है. मगर गुजरात में इसे अलग- अलग नामों से जाना जाता है. कोई इसे चरोटारी कहता है, कोई डेक्कनी, कोई गुजराती, कोई नडियाडी या तलबड़ा कहता है. नाम चाहे कोई भी हो, बात एक है, ये भैंस कम चारा खाती है और ज्यादा दूध देती है.

सुरती नस्ल की भैंस का दूध न केवल मात्रा में ज्यादा होता है, बल्कि पोषण से भी भरपूर होता है. यही कारण है कि इसका दूध बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह कम चारे में अच्छा दूध दे सकती है.

सुरती नस्ल के नर भैसों की भी खूब डिमांड

बाजार में सुरती नस्ल की भैंस औसतन 40 हजार से 50 हजार रुपये तक में मिल जाती है. सुरती नस्ल की भैंस ताकतवर और मजबूत होती हैं. इसके बच्चे भी मजबूत होते हैं और उन्हें आगे डेयरी या खेत के काम के लिए पाला जा सकता है, जिससे लंबे समय में यह नस्ल किसानों के लिए एक फायदे का सौदा साबित होती है. जबकि, सुरती नस्ल के भैंसे को प्रजनन के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

1700 लीटर दूध देती है ये भैंस

सुरती नस्ल की भैंस एक ब्यांत में औसतन 1600- 1700 लीटर दूध देती है. यानी रोज़ाना लगभग 5 से 6 लीटर तक दूध देती है. अगर 60 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से देखें, तो एक दिन का दूध करीब 300 से 360 रुपये तक का हो जाता है. इस हिसाब से साल में एक लाख तक की कमाई बड़े आराम से हो सकती है.

बनावट से पहचानें सुरती नस्ल

यह भैंस दिखने में मजबूत होती है और इसका रंग गहरा भूरा या काला होता है. इसकी शरीर बैरल की तरह गोल और सींग दरांती जैसे मुड़े हुए होते हैं. इसका रखरखाव आसान होता है और यह जल्दी बीमार भी नहीं पड़ती. वजन की बात करें तो यह दूसरी नस्लों के मुकाबले थोड़ी हल्की-फुल्की होती है. यही इसकी असली ताकत है.

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