देसी अंडा खाएं या सफेद? सच्चाई जानकर हैरान रह जाएंगे
Desi Egg vs White Egg: अंडों का रंग भले ही अलग हो, लेकिन पोषण में दोनों लगभग बराबर होते हैं. फर्क सिर्फ मुर्गी की देखरेख, खानपान और पालन के तरीकों से आता है, जो अंडे की गुणवत्ता तय करते हैं.

बाजार में जब आप अंडे खरीदने जाते हैं तो एक सवाल जरूर सामने आता है, भूरा अंडा लें या सफेद? ऐसा इसलिए भी कुछ लोग कहते हैं देसी अंडा ताकत देता है तो कुछ मानते हैं कि रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन क्या इन दोनों अंडों में पोषण का कोई अंतर होता है, या सिर्फ रंग देखकर भ्रम फैलाया जा रहा है? आज हम इसी बात को जानने की कोशिश करेंगे.
रंग का फर्क कहां से आता है?
देखा जाए तो अंडों का रंग मुर्गी की नस्ल पर निर्भर करता है. जिन मुर्गियों के पंख सफेद होते हैं, वे सफेद अंडे देती हैं. वहीं जिनके पंख भूरे या गहरे रंग के होते हैं, उनका अंडा भी भूरा होता है. यानी रंग का फर्क सिर्फ बाहरी होता है, अंडे के पोषण से उसका सीधा कोई लेना-देना नहीं है.
पोषण की असली वजह क्या है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो अंडे में मौजूद पोषक तत्व इस बात पर निर्भर करते हैं कि मुर्गी का खान- पान क्या है, उसे कितनी धूप मिली और उसका रहन-सहन कैसा रहा. देखा जाए तो देसी मुर्गियां ज्यादातर खुले वातावरण में पाली जाती हैं, जहां उन्हें अनाज, कीड़े-मकोड़े और हरी चीजें खाने को मिलती हैं. वहीं फार्म में पाली गई सफेद मुर्गियों को बंद जगहों में रखा जाता है और कई बार इंजेक्शन या सप्लीमेंट भी दिए जाते हैं ताकि जल्दी अंडा मिले.
क्या देसी अंडा ही बेहतर है?
देसी अंडों को लोग ज्यादा फायदेमंद करते हैं क्योंकि देसी मुर्गियों को प्राकृतिक माहौल मिलता है. इसकी तुलना में सफेद मुर्गियों को ऐसा मौहाल नहीं मिलता. अगर सही से देखा जाए तो सफेद मुर्गी को सही खानपान और देखभाल दी जाए तो उनका अंडा भी पोषण में किसी से कम नहीं होता.
दोनों अंडों में क्या पाया जाता है?
दोनों के अंड़ो की तुलना की जाए तो सफेद और देसी दोनों अंडों में विटामिन A, B12, D, E, फोलेट, कोलीन और सेलेनियम जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं. जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ मस्तिष्क, आंखों, त्वचा और हड्डियों के लिए भी फायदेमंद होते हैं.