तीतर और बटेर: दिखने में एक जैसे पर असलियत में जमीन-आसमान का फर्क
तीतर और बटेर को आमतौर पर लोग एक ही समझ लेते हैं पर यह दोनों पक्षी अलग हैं और इनकी खूबियां भी एक दूसरे से काफी भिन्न और दिलचस्प होती हैं.

पक्षियों की दुनिया में अगर कोई ऐसी जोड़ी है जिसे अक्सर एक-दूसरे से गलत समझ लिया जाता है, तो वो है तीतर और बटेर. नाम सुनते ही मन में एक तस्वीर बनती है, छोटा, मोटा सा पंछी, जो ज़मीन पर चलता है और जरूरत पड़ने पर पंख फड़फड़ाकर उड़ भी लेता है. लेकिन अगर तीतर और बटेर को पास-पास रख दें तो एक आम शख्स के लिए फर्क कर पाना मुश्किल हो सकता है.
कद-काठी में अंतर
तीतर थोड़ा भारी-भरकम होता है. यह करीब 12 इंच लंबा और इसका वजन तीन चौथाई पाउंड (0.75) होता है. वहीं बटेर, थोड़ा कॉम्पैक्ट मॉडल (छोटा लेकिन गठा हुआ और मजबूत शरीर वाला पक्षी) है. यह 6 से 7 इंच लंबा होता है और इसका वजन एक पाउंड होता है. हालांकि कुछ प्रजातियां इससे भारी भी हो सकती हैं.
क्या एक समान है रंग-रूप
तीतर आमतौर पर भूरे, स्लेटी या काले रंग में दिखता है. कुछ के पंखों पर लालिमा और धब्बे भी होते हैं. वहीं बटेर इस मामले में थोड़ा रंगीन मिजाज रखता है. इसके रंग की बात करें तो सफेद, सिल्वर, लैवेंडर, गोल्डन जैसे कई शेड मिलते हैं. नर बटेर थोड़ा स्टाइलिश होता है, इसके चेहरे पर काली-सफेद धारियां होती हैं. इसके अपेक्षा मादा बटेर सिंपल सी दिखती हैं.
रहन-सहन और खुराक
तीतर (Pheasant) का आहार मुख्य रूप से अनाज जैसे गेहूं, जौ, जई और मक्का पर आधारित होता है, साथ ही वे सूरजमुखी, फॉक्सटेल, रैगवीड और रूसी थीस्ल जैसे बीज भी खाते हैं. जबकि युवा तीतर, खासकर अंडे से निकलने के बाद पहले कुछ हफ्तों तक, अपने प्रोटीन की जरूरतों के लिए कीड़े खाते हैं. वयस्क तीतर भी गर्मियों में कीड़ों का सेवन करते हैं, जिससे उनके आहार में विविधता आती है
दूसरी ओर, बटेर (Quail) भी अनाज, जड़ी-बूटियां और रैगवीड खाते हैं, लेकिन वे कीड़े और छोटे जानवरों को भी अपने आहार का हिस्सा बनाते हैं. यह सर्वाहारी प्रवृत्ति उन्हें तीतर से थोड़ा अलग बनाती है, क्योंकि तीतर का आहार अधिकतर शाकाहारी होता है. हालांकि वे मौसमी रूप से कीड़े खाते हैं.
पाला जा सकता है या नहीं?
तीतर को पालतू बनाना आसान नहीं है. उसे खुला मैदान चाहिए. वहीं बटेर थोड़ी जल्दी घुलता-मिलता है. कई लोग उसे पालते भी हैं, इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि इसकी कुछ प्रजातियां, ख़ासतौर से यूरोपीय बटेर, प्रवास के समय जहरीली हो सकती हैं.
अंत में समझने वाली बात
तीतर और बटेर दोनों खास हैं. दोनों का अपना-अपना इलाका है और अपनी-अपनी फितरत है. एक सधा हुआ, दूसरा चपल. एक ताकतवर शरीर वाला, तो दूसरा रंग-बिरंगा और तेज़ उड़ान वाला.दिखने में जो एक जैसे लगते हैं.