पटना में बर्ड फ्लू की दस्तक, मुर्गीपालकों को बरतनी होगी सावधानी
यदि किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि होती है, तो सरकार के नियमों के अनुसार, 1 किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी पोल्ट्री फार्म के पक्षियों को मार दिया जाता है, चाहे वे सरकारी हों या निजी.

पटना में बर्ड फ्लू का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है, जिससे पोल्ट्री उद्योग और प्रशासन में हड़कंप मच गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्वी परिसर में बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही सख्त कदम उठाए गए हैं. संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए संस्थान ने करीब 200 मुर्गियों को मारकर नष्ट कर दिया है. वहीं, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भी सुरक्षा उपायों को अपनाने और आवश्यक कार्रवाई करने में जुटा हुआ है. प्रशासन ने पोल्ट्री किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है ताकि इस बीमारी के प्रभाव को सीमित किया जा सके.
कैसे हुआ बर्ड फ्लू का खुलासा?
ICAR के निदेशक डॉ. अनुपम दास के अनुसार, कुछ दिनों पहले अचानक फार्म में कई मुर्गियों की मौत हो गई. इसके बाद सैंपल को जांच के लिए भोपाल स्थित हाई-सिक्योरिटी लैब भेजा गया, जहां जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई. रिपोर्ट आते ही संस्थान ने अपने सभी मुर्गी वार्ड खाली करा दिए और 1 किलोमीटर के दायरे में मौजूद अन्य पोल्ट्री फार्म को अलर्ट कर दिया गया. साथ ही बाहर के इलाकों में भी निगरानी रखी जा रही है.
मुर्गियां और बत्तखें मारकर किया नष्ट
ICAR द्वारा बर्ड फ्लू की पुष्टि होते ही प्रशासन की देखरेख में अनुसंधान फार्म की 130 मुर्गियां और 60 बत्तखें मारकर जमीन में दफना दी गई. पूरे पोल्ट्री फार्म को सैनिटाइज किया जा रहा है ताकि वायरस फैल न सके.
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भी ले रहा ऐहतियात
ICAR परिसर के पास स्थित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पोल्ट्री फार्म पर भी बर्ड फ्लू का खतरा मंडरा रहा है. यहां भी फार्म में मौजूद पक्षियों को नष्ट करने की तैयारी की जा रही है, ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके.
क्या कहता है केंद्र सरकार का प्रोटोकॉल?
यदि किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि होती है, तो सरकार के नियमों के अनुसार, 1 किलोमीटर के दायरे में स्थित सभी पोल्ट्री फार्म के पक्षियों को मार दिया जाता है, चाहे वे सरकारी हों या निजी. यह एक वायरल संक्रमण है, इसलिए स्वस्थ मुर्गियों को भी खत्म करना पड़ता है ताकि वायरस आगे न फैले.
क्या घबराने की जरूरत है?
इस संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है. साथ ही पोल्ट्री फार्म संचालकों को अपने फार्म के आसपास ऊंचे पेड़ों की टहनियों को काट देना चाहिए ताकि कौवे वहां न बैठ सकें. यदि आसपास कौवे दिखाई दें, तो उन्हें तुरंत वहां से हटा देना चाहिए.
बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक
पोल्ट्री फार्म में जैव-सुरक्षा नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. फार्म में किसी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश नहीं करने देना चाहिए और मुर्गियों को ले जाने वाले वाहनों को फार्म के बाहर ही रोका जाना चाहिए. इसके अलावा, फार्म में काम करने वाले मजदूरों को अलग-अलग कपड़े पहनने चाहिए. फार्म के अंदर और बाहर के लिए अलग-अलग कपड़े अनिवार्य होने चाहिए. उचित सावधानी बरतने से बर्ड फ्लू के प्रसार को रोका जा सकता है.
बर्ड फ्लू के लक्षण क्या हैं?
-अगर किसी पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू फैलता है, तो कुछ स्पष्ट लक्षण दिखने लगते हैं:
-मुर्गियां खाना-पीना बंद कर देती हैं.
-अचानक बड़ी संख्या में मुर्गियां मरने लगती हैं.
-पहले दिन 20 मुर्गियां मरती हैं, तो दूसरे दिन यह संख्या दोगुनी हो जाती है.
यदि किसी पोल्ट्री फार्म में इस तरह की स्थिति दिखे, तो तुरंत जिला पशुपालन विभाग को सूचित करें. प्रशासन द्वारा इस संक्रमण को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन पोल्ट्री किसानों और आम जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है.