बिहार में शुरू हुआ स्वाइन फीवर का टीकाकरण अभियान, 10 दिन में दो लाख सूअरों को लगेगा टीका
इस अभियान के तहत 3 महीने से ऊपर उम्र के सूअरों को टीका लगाया जाएगा. यह पूरी प्रक्रिया मुफ्त होगी और किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा.

बिहार सरकार ने सूअरों में होने वाले क्लासिकल स्वाइन फीवर से बचाव के लिए राज्यभर में एक बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया है. इस अभियान के तहत, 10 दिन में 2,32,160 सूअरों को मुफ्त में टीका लगाया जाएगा. यह अभियान बिहार के सभी 38 जिलों में चलाया जा रहा है और सूअरों के मालिकों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की गई है.
क्लासिकल स्वाइन फीवर क्या है?
क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) एक खतरनाक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से सूअरों को प्रभावित करती है. यह बीमारी इंसानों को नहीं होती है, लेकिन सूअरों की इसकी वजह से मौत हो जाती है , जिससे पिग फार्मिंग के व्यवसाय को भारी नुकसान होता है. इसके फैलने से राज्य की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है, क्योंकि सूअरपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
टीकाकरण अभियान का उद्देश्य
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य क्लासिकल स्वाइन फीवर को रोकना और सूअरों को सुरक्षित रखना है. इस अभियान के तहत 3 महीने से ऊपर उम्र के सूअरों को टीका लगाया जाएगा. यह पूरी प्रक्रिया मुफ्त होगी और किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा.
टीकाकरण की प्रक्रिया
पशुपालन विभाग द्वारा इस अभियान के तहत निर्धारित किया गया है कि टीकाकरण सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक हर दिन किया जाएगा. हर जिले में विशेष टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं और हर गांव तथा वार्ड में टीकाकरण की व्यवस्था की गई है. इस अभियान का उद्देश्य हर सूअर को इस बीमारी से बचाना है ताकि सूअरों में बीमारी का प्रसार रोका जा सके.
किसानों से अपील
पशुपालन विभाग ने किसानों और सूअर पालने वाले सभी व्यक्तियों से अपील की है कि वे इस मुफ्त टीकाकरण अभियान का पूरा लाभ उठाएं और अपने सूअरों को सुरक्षित रखें. विभाग ने यह भी कहा है कि अगर किसी पशुपालक को टीकाकरण के दौरान कोई समस्या आती है, जैसे टीका नहीं लगवाना या पैसे मांगने की शिकायत होती है, तो वे विभाग के कंट्रोल रूम पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. कंट्रोल रूम का नंबर 0612-2230942 है.
टीकाकरण अभियान के लाभ
इस टीकाकरण अभियान के तहत, राज्य सरकार का उद्देश्य क्लासिकल स्वाइन फीवर को 2030 तक पूरी तरह से खत्म करना है. यह कदम राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुरक्षा प्रदान करने और सूअरों में होने वाली जानलेवा बीमारियों के प्रसार को रोकने में सहायक होगा. पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान से सूअरपालक किसानों को दीर्घकालिक सुरक्षा मिलेगी और उनकी आजीविका में सुधार होगा.