भारत की सबसे दुधारू गाय, जानें किस नस्ल से मिलेगा अधिक मुनाफा
नई तकनीकों और बेहतर नस्लों के जरिए गाय पालन और डेयरी उद्योग में नई संभावनाओं के दरवाजे खुल रहे हैं.

भारत में गाय पालन सदियों से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है. इसके पालन-पोषण को एक पारंपरिक विरासत के रूप में देखा जाता है. अब नई तकनीकों और बेहतर नस्लों के जरिए गाय पालन और डेयरी उद्योग में नई संभावनाओं के दरवाजे खुल रहे हैं. देश में गाय के दूध की खपत में लगातार वृद्धि हो रही है. लोग अब न केवल दूध का सेवन कर रहे हैं, बल्कि उससे बने उत्पाद जैसे दही, घी, पनीर, और मक्खन की भी मांग तेजी से बढ़ रही है. अगर आप भी गौ-पालन करके डेयरी उद्योग शुरू करना चाहते हैं, तो हम आपको कुछ ऐसी गायों की नस्लों के बारे में बताएंगे, जिससे अच्छी मात्रा में दूध और मुनाफा मिलेगा.
साहीवाल गाय
यह भारत की सबसे बेहतरीन और प्रसिद्ध देसी नस्लों में से एक है. इसका मूल स्थान पंजाब का साहीवाल क्षेत्र माना जाता है, लेकिन यह हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर पाली जाती है. इस नस्ल की खासियत इसकी उच्च दूध उत्पादन क्षमता और बेहतर रोग प्रतिरोधक शक्ति है. साहीवाल गाय प्रतिदिन औसतन 20 से 25 लीटर तक दूध देती है, और इसका दूध अधिक वसा (Fat Content) के लिए जाना जाता है. इसलिए इसे डेयरी उद्योग के लिए एक आदर्श नस्ल मानी जाती है.
गिर गाय
इसे भारत की सबसे अधिक दुधारू देसी नस्ल माना जाता है. इसका मूल स्थान गुजरात के दक्षिण में स्थित काठियावाड़ क्षेत्र का गिर जंगल है, जिसके नाम पर इस नस्ल का नाम रखा गया है. गिर गाय की खास बात है कि प्रतिदिन यह औसतन 30 से 50 लीटर तक दूध दे सकती है, जो इसे देश की अन्य नस्लों से अलग बनाता है. इसका दूध न केवल अधिक मात्रा में होता है, बल्कि इसमें उच्च वसा (Fat Content) और पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है.
क्रॉस नस्ल शंकर
यह एक उन्नत क्रॉस ब्रीड नस्ल है, जिसे डेनमार्क की प्रसिद्ध होलिस्टन फ्रीजियन नस्ल के साथ स्थानीय देसी गायों को क्रॉस-ब्रीड कर विकसित किया गया है. इस नस्ल को विशेष रूप से उच्च दूध उत्पादन क्षमता के लिए जाना जाता है. यह प्रतिदिन औसतन 30 से 35 लीटर तक दूध देती हैं. इस नस्ल का दूध न केवल मात्रा में अधिक होता है, बल्कि इसमें उच्च गुणवत्ता भी होती है, जिससे बाजार में इसकी मांग ज्यादा है. यही वजह है कि इसे व्यावसायिक डेयरी उद्योग के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है.