सेना की नौकरी छोड़कर शुरू की खेती, अब टमाटर की खेती से कमा रहे सलाना लाखों रुपये 

साल 2001 में सेना से रिटायर होने के बाद फतेहपुर के अरुण कुमार एक अनुमान के अनुसार  हर साल खेती की मदद से 25 से 30 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. 

सेना की नौकरी छोड़कर शुरू की खेती, अब टमाटर की खेती से कमा रहे सलाना लाखों रुपये 
Updated On: 25 Feb, 2025 | 03:21 PM

‘जय जवान, जय किसान,’ उत्‍तर प्रदेश के एक किसान ने इस नारे को पहले सेना और अब खेती में सच साबित कर दिखाया है. आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्‍होंने सेना की नौकरी छोड़कर खेती में हाथ आजमाने का फैसला किया. अब इस फैसले से न सिर्फ वह अब लाखों रुपये कमा रहे हैं बल्कि आसपास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे. वह जब छुट्टी में घर आते तो अपने पिता के साथ खेती में हाथ बंटाते और फिर एक दिन उन्‍होंने इसी काम को करने का फैसला कर लिया. 

किसान परिवार में हुआ जन्‍म 

यूपी के फतेहपुर जिला के तहत आने वाले मलवा के गांव बैला का पुरवा के रहने वाले अरुण कुमार का जन्‍म एक किसान परिवार में हुआ था. यूं तो वह एक किसान परिवार में पैदा हुए थे लेकिन उनका मन हमेशा नौकरी करने को कहता था. सन् 1984 में उन्‍हें इंडियन आर्मी में नौकरी में मिली. अपने नौकरी करने के सपने को पूरा करने और देश की रक्षा के लिये वह पूरा दिल लगाकर नौकरी करने लगे. लेकिन फिर उन्‍हें पोस्टिंग पर घर की याद सताती. जब उन्‍हें याद आती तो वह अक्‍सर अपने पिता को पूरे परिवार के साथ खेतों में काम करते हुये कल्‍पना करने लगते. फिर जब वह  छुट्टी पर घर आते तो पिता के साथ खेती में हाथ बटाते. 

2001 में छोड़ी आर्मी, शुरू की खेती 

धीरे-धीरे उनकी रुचि खेती की तरफ बढ़ती गई और फिर साल 2001 में उन्‍होंने सेना की नौकरी छोड़ दी. अरुण ने खेती बाड़ी को आधुनिक तरीके से करने का संकल्प लिया और गांव वापस आ गए. उन्‍होंने अपनी पोस्टिंग के दौरान देश के अलग-अलग हिस्‍सों में खेती की जितनी भी तकनीकों के बारे में सीखा, उन्‍हें अपने गांव में साकार करने का इरादा कर लिया. वह दिन रात खेतों में मेहनत करने लगे. इन आधुनिक तरीकों से उन्‍होंने गेहूं, धान, तिलहन जैसी फसलों को अंजाम दिया. लेकिन उन्‍हें उतना फायदा नहीं हो रहा था, जितना उन्‍होंने सोचा था. इसके बाद उन्‍होंने फिर बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के तौर पर नौकरी शुरू कर दी. इस नौकरी के साथ-साथ वह रोजाना खेती भी करते थे. 

केले की फसल से नुकसान 

साल 2008-2009 में उन्‍होंने फतेहपुर के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग से संपर्क किया. विभाग के अधिकारियों की तरफ से जो टेक्निक उन्‍हें बताई गई, उसकी मदद से उन्‍होंने एक हेक्‍टेयर खेत पर टिशूकल्चर केला की गेण्ड नैन प्रजाति की खेती शुरू की. खेती अच्छी तरह चल रही थी और पौधे भी ठीक से बढ़ रहे थे. लेकिन जैसे ही केले आने को हुए तो नीलगाय ने फसल को नुकसान पहुंचा दिया. 15 से 20 दिनों के अंदर जो फसल तैयार हुई थी उसमें सिर्फ कुछ ही हिस्‍सा बिक पाया. उन्‍हें इस बची हुई फसल को करीब एक लाख रुपये में बेचा. अगर लागत को निकाल दें तो सिर्फ बीस से तीस हजार रुपये की ही आमदनी 15 महीनों में हो सकी. 

पानी की समस्‍या से परेशान 

इसके बाद उन्‍हें विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्‍य में सबसे अच्छी केला की खेती बाराबंकी का एक किसान कर रहा है. वह जब उस किसान से मिलने गए तो उन्‍होंने देखा कि केला के साथ-साथ टमाटर की खेती भी बेड एंड स्टेकिंग मैथेड से बाकी के किसान कर रहे हैं. बस यहां से उन्‍हें टमाटर की खेती का आइडिया मिला. साल 2010 में अरुण कुमार ने एक बीघा टमाटर की खेती की जिससे उन्‍हें करीब 27000 रुपये की आमदनी पांच महीने में हासिल हुई. इसके बाद उन्‍होंने पूरे खेतों पर धान, सरसों एवं टमाटर के फसल चक्र को अपनाया. इस तरह से उन्‍हें साल में करीब दो लाख रुपये का फायदा हुआ लेकिन मजदूरों और पानी की समस्या खेती में बनी रही. 

टमाटर की खेती से मुनाफा 

इसके बाद साल 2012-13 में अरुण कुमार ने हॉर्टीकल्‍चर डिपार्टमेंट में ड्रिप सिंचाई के लिये रिक्‍वेस्‍ट की. हलांकि उन्‍हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सका क्‍योंकि लाभार्थियों का सेलेक्‍शन हो चुका था. फिर उन्‍होंने अपनी जिद पर अपने पैसे से ड्रिप सिंचाई के लिए उपकरण खरीदा. इसके बाद उसका प्रयोग टमाटर और खीरा की फसल पर किया. एक बार फिर वह अपने प्रयास में असफल रहे और कोई अच्‍छा फायदा नहीं मिल सका.  साल 2013-14 में उन्‍हें हॉर्टीकल्‍चर डिपार्टमेंट की तरफ से क्लोज स्प्रेसिंग फसल में ड्रिप लगाने के लिए सेलेक्‍शन किया गया.

उनके पास 10 बीघा जमीन है जिसमे वह  हाइब्रिड टमाटर की हिमसोना प्रजाति की खेती कर रहे हैं. जिस एक हेक्‍टेयर खेत में ड्रिप इरीगेशन से टमाटर की खेती की जा रही है उस खेत में दूसरे खेत की तुलना में डेढ़ गुना उत्पादन होता है. साथ ही वर्तमान में जो उत्पादन हो रहा है उसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होने के कारण बाजार में सबसे पहले बिक जाता है. एक अनुमान के अनुसार  अरुण कुमार हर साल खेती की मदद से 25 से 30 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. 

Published: 18 Feb, 2025 | 12:25 PM