हल्दी की खेती कैसे करें? बुवाई से लेकर कटाई तक जानें सभी जरूरी बातें
हल्दी की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है.

भारत में प्राचीन काल से हल्दी को उगाया जाता है, ये एक महत्वपूर्ण मसाला और औषधीय फसल है. साथ ही भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश भी है. यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाई जाती है. आइए जानते हैं हल्दी की खेती करने से पहले कुछ जरूरी बातें.
मिट्टी और जलवायु
हल्दी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. मिट्टी का pH स्तर 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए. गर्म और आर्द्र जलवायु हल्दी के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है और 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी फसल के लिए उपयुक्त होता है.
बीज चयन और बुवाई
हल्दी की खेती के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले स्वस्थ और रोगमुक्त कंदों का चयन करना जरूरी है. इसकी बुवाई जून से अगस्त के बीच की जाती है. कंदों को 5-7 सेमी गहराई में लगाया जाता है और पंक्तियों के बीच 30-40 सेमी की दूरी रखी जाती है. प्रति हेक्टेयर 2,000 से 2,500 किलोग्राम बीज कंदों की आवश्यकता होती है.
खाद और सिंचाई
हल्दी की बेहतर उपज के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का सही संतुलन आवश्यक है. जैविक खाद में गोबर की खाद और कम्पोस्ट का उपयोग किया जा सकता है. नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा देने से फसल अच्छी होती है. हल्दी की सिंचाई 7-10 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए, लेकिन मानसून के दौरान अतिरिक्त पानी से बचना चाहिए.
निराई-गुड़ाई और रोग नियंत्रण
हल्दी के खेत में समय-समय पर निराई-गुड़ाई आवश्यक होती है ताकि खरपतवार न बढ़ें. साथ ही हल्दी में पत्ती झुलसा, फफूंद और राइज़ोम सड़न जैसी बीमारियां लग सकती हैं, जिनके लिए जैविक या रासायनिक उपचार का उपयोग करना जरूरी होता है.
कटाई
हल्दी 7-9 महीने में तैयार हो जाती है. जब पौधों की पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं, तब खुदाई कर फसल काटी जाती है. खुदाई के बाद कंदों को साफ करके उबाला जाता है और फिर धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद इसे पॉलिश कर पाउडर के रूप में तैयार किया जाता है.