मूंग फसल पर तंबाकू इल्ली का हमला, जमीन से निकलते पौधे को चट कर रहा कीट
राजस्थान, यूपी, एमपी समेत कई राज्यों में मूंग की फसल पर तंबाकू इल्ली का हमला शुरू हो गया है. खेतों में नई पौध को कीट चट कर रहा है. वैज्ञानिकों ने इसे मूंग पर अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप बताया है.

देश में दलहन उत्पादन को लेकर केंद्र सरकार का खास जोर है. इसलिए सरकार देशभर में किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध करा रही है. यही वजह है कि इस बार ज़ायद सीजन में किसानों ने जमकर मूंग की बुवाई की है. हालांकि किसानों के लिए इल्ली कीट एक बड़ी मुसीबत बनकर सामने आ गया है. खासतौर पर राजस्थान और उससे जुड़े राज्यों में इस कीट का हमला तेजी से बढ़ा है. कृषि एक्सपर्ट्स ने किसानों को इस कीट से फसल बचाने के उपाय बताए हैं.
तंबाकू इल्ली का प्रकोप किसानों के लिए बना सिरदर्द
दलहन मिशन के चलते इस बार दालों की खेती का रकबा बढ़ा है. जायद सीजन में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में किसानों ने बड़े पैमाने पर मूंग की बुवाई की है.राजस्थान के डूंगरपुर जिले में जायद मूंग की फसल पर तंबाकू इल्ली का प्रकोप किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है. इस साल जिले में 1200 हेक्टेयर में मूंग की बुवाई हुई थी, लेकिन पौधों पर चार पत्ते निकलते ही तंबाकू इल्ली ने फसल को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इल्ली के तेज हमले से पत्तियां जालीनुमा हो रही हैं, जिससे पौधों का विकास रुक गया है और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं.
सोयाबीन वाली जमीनों पर ज्यादा हमला
डूंगरपुर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अनुसार, जिन खेतों में पहले सोयाबीन की फसल लगाई गई थी, वहां इल्ली का प्रकोप ज्यादा देखा जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मूंग की फसल पर तंबाकू इल्ली का यह पहला बड़ा हमला है.
250 अंडों के समूह में अंडे देती है मादा
इस कीट का व्यस्क पतंगा मटमैले भूरे रंग का होता है, जिसके ऊपरी पंखों पर सफेद टेढ़ी-मेढ़ी धारियां और निचले पंख सफेद होते हैं. मादा पतंगा पत्तियों की निचली सतह पर एक बार में 200 से 250 अंडे देती है. वहीं छोटी इल्लियां मटमैले हरे रंग की होती हैं और शुरुआती अवस्था में झुंड में रहकर पत्तियों के हरे भाग को खुरचकर खाती हैं, जिससे पत्तियां जालीदार हो जाती हैं. किसानों का कहना है कि इल्ली तेजी से पौधों को नष्ट कर रही है, जिससे फसल को भारी नुकसान हो रहा है.
बचाव के लिए एक्सपर्ट ने क्या दी राय?
वैज्ञानिकों ने इस कीट से बचाव के लिए कई उपाय सुझाए हैं. उनका मानना है कि बुवाई के 15 से 20 दिन बाद, प्रति हेक्टेयर 10–12 फेरोमोन ट्रैप लगाने की सलाह दी गई है. चूंकि व्यस्क कीट रात में सक्रिय होते हैं, इसलिए प्रति हेक्टेयर 200 वॉट का मर्करी लैंप या लाइट ट्रैप लगाना लाभदायक होगा.वहीं रासायनिक नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 फीसदी एसजी (150 ग्राम) या थायोमिथॉक्साम 12.6 फीसदी अथवा लेम्बडा साइहलोथ्रिन 9.5 फीसदी जेडसी (150 मिली) प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.