दवा उद्योग में विदेशी फूल की खेती से लाखों का मुनाफा, जानें कैसे करें शुरुआत

ब्लूकॉन फूल की सबसे बड़ी खासियत है कि यह कम सिंचाई और पानी के भी सूखे इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है.

दवा उद्योग में विदेशी फूल की खेती से लाखों का मुनाफा, जानें कैसे करें शुरुआत
Noida | Published: 25 Mar, 2025 | 06:00 PM

हाल के सालों में किसान पारंपरिक खेती के अलावा नई फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. इनमें से एक है फूलों की खेती, खासकर वह विदेशी फूल जिनकी डिमांड लगातार बाजारों में बनी हुई है. आज हम आपको ऐसे ही एक फूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती करके किसानों को लाखों का फायदा हो रहा है.

जर्मनी से आए इस फूल का नाम है ब्लूकॉन, जिसका इस्तेमाल भारत में दवाई बनाने वाली कंपनियां दर्द निवारक दवाओं के लिए कर रही हैं. चलिए जानते हैं कैसे किसान इसकी खेती से मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.

सूखाग्रस्त इलाकों में भी खिलेंगे फूल

ब्लूकॉन फूल की सबसे बड़ी खासियत है कि यह कम सिंचाई और पानी के भी सूखे इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है, यही वजह है कि जर्मनी के सूखे क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जाती है.

1 महीने में लाखों की कमाई

किसान अगर एक बीघे जमीन पर खेती करते हैं, तो रोजाना वह 15 किलो फूल तोड़ सकते हैं. जिसकी बाजार में कीमत 1500 रुपये प्रति किलो होती है. इस तरह रोजाना करीब 30 हजार रुपये और महीने में 9 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. इस फूल का इस्तेमाल दर्द निवारक दवाओं और शादी-समारोहों की सजावट के लिए किया जाता है.

कैसे होती है कटाई और बिक्री?

-ब्लूकॉन फूलों के पूरे खिलने के बाद ही इसकी कटाई की जाती है.
-एक बीघे में रोज़ 2 क्विंटल तक फूल तैयार हो जाते हैं.
-फूलों के सूखने के बाद यह 12-15 किलो बचते हैं, जिन्हें दवाई कंपनियों को बेचा जाता है. खासकर बरेली और महाराष्ट्र में इसकी सप्लाई की जाती है.
-इसकी खेती का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि इसमें एक खास तरह की गंध आती है, जिससे जंगली जानवर फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते.

बढ़ती लोकप्रियता

वर्तमान समय में भारत में फूल की खेती का चलन जोरों शोरों से चल रहा है. सरकार भी कई योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी दे रही है, जिससे आने वाले समय में इस संख्या के बढ़ने की उम्मीद है. पारंपरिक खेती की तुलना में किसानों को फूलों की खेती अधिक मुनाफा देने वाली साबित हो रही है.

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