बुरहानपुर की अनुसुइया की कहानी- जिसकी बनाई केले वाली टोपी लंदन पहुंची
यह कहानी बुरहानपुर जिले के एकझिरा गांव की निवासी अनुसुईया चौहान की है. उनके द्वारा केले के तने के रेशे से बनाई गई टोपी ने लंदन तक अपनी पहचान बनाई है.

मध्यप्रदेश का बुरहानपुर जिला केले की खेती के लिए जाना जाता है. इसे “एक जिला-एक उत्पाद” (ODOP) योजना के तहत शामिल किया गया है. खास बात है कि यहां से न केवल केले की बिक्री हो रही है, बल्कि केले के रेशों से बने उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं. अब इसे विदेशों में भी बेचा जा रहा है.
इस योजना ने यहां की महिलाओं को अपने हुनर को प्रदर्शित करने और अपने जीवन को बेहतर बनाने का अवसर दिया है. इसके साथ ही, जिले का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन हो रहा है. आज हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने केले के तने से बने प्रोडक्ट के जरिए अपने जीवन को नया मोड़ दिया और उनके बनाए उत्पाद अब लंदन तक पहुंच चुके हैं.
आजीविका मिशन से बदलाव
यह कहानी बुरहानपुर जिले के एकझिरा गांव की निवासी अनुसुईया चौहान की है. उनके द्वारा केले के तने के रेशे से बनाई गई टोपी ने लंदन तक अपनी पहचान बनाई है.
बुरहानपुर में हुए ‘बनाना फेस्टिवल’ से अनुसुईया को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिली, और अब वह और उनका परिवार केले के रेशे से उत्पाद तैयार करते हैं. उनके जीवन में बदलाव आजीविका मिशन के कारण आया. लव-कुश स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद, उन्होंने केले की खेती के साथ-साथ केले के तने का भी उपयोग करना शुरू कर दिया.
1100-1200 रुपये में बिकती है एक टोपी
आजीविका मिशन की मदद से अनुसुईया ने केले के तने से रेशा निकालने की मशीन खरीदी और टोपी बनाने का काम शुरू किया. उनका परिवार भी इस काम में उनका साथ देता है.
अनुसुईया रेशा निकालने के बाद उसे सुखाती हैं और फिर बुनाई करके अलग-अलग आकार, साइज और डिजाइन की टोपियां बनाती हैं. ये टोपियां बाजार में 1100 से 1200 रुपये में बिकती हैं. इस कार्य से न केवल उन्हें आर्थिक सहायता मिली है, बल्कि उन्होंने कई अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया है.
जिले में अभियान जारी
अनुसुईया चौहान द्वारा बनाई गई टोपियां अब लंदन तक पहुंच चुकी हैं. लालबाग क्षेत्र के एक परिवार ने इन टोपियों को खरीदकर विदेश भेजा है. अनुसुईया की कहानी इस बात का उदाहरण है कि यदि सही दिशा और समर्थन मिले, तो स्थानीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं.
सरकार की योजनाओं और प्रयासों के तहत बुरहानपुर जिले में स्व सहायता समूह और आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाने का प्रयास किया जा रहा है. अनुसुईया इस सपने को साकार कर रही हैं. वह कहती हैं, “जब हुनर को सही मंच मिलता है, तो सपने सच होते हैं.”