रेशम की खेती बनी कमाई का नया जरिया, जानिए कैसे करें इसकी शुरुआत

रेशम की खेती किसानों के लिए कम समय में ज्यादा मुनाफे का जरिया बन रही है. शहतूत की खेती के साथ रेशम कीट पालन करने से किसान कम लागत में तगड़ी कमाई कर सकते हैं.

रेशम की खेती बनी कमाई का नया जरिया, जानिए कैसे करें इसकी शुरुआत
Noida | Published: 1 Apr, 2025 | 09:01 PM

अगर आप कम मेहनत में अच्छी कमाई का तरीका ढूंढ रहे हैं तो रेशम की खेती (Silk Farming) आपके लिए बेहतरीन मौका हो सकता है. यह खेती न केवल पारंपरिक खेती का बेहतर विकल्प है, बल्कि शहतूत की खेती के साथ इसे जोड़कर दोगुनी कमाई भी की जा सकती है. खासकर झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में यह तेजी से लोकप्रिय हो रही है आइए जानते हैं कि रेशम कीट पालन (Sericulture) कैसे करें और इससे किसानों की आमदनी कैसे बढ़ सकती है.

कैसे होती है रेशम की खेती?

रेशम कीट पालन मुख्य रूप से तीन तरीकों से किया जाता है.
1.मलबरी सिल्क – इसमें शहतूत के पत्तों पर रेशम के कीड़े पाले जाते हैं.
2.टसर सिल्क – यह जंगलों में पाए जाने वाले पेड़ों पर तैयार किया जाता है.
3.एरी सिल्क – इसमें अरंडी के पत्तों पर रेशम के कीट पाले जाते हैं.

सबसे ज्यादा मलबरी सिल्क की खेती की जाती है, क्योंकि इसमें शहतूत के पेड़ लगाए जाते हैं और उन्हीं के पत्तों से कीड़े को खिलाया जाता है. ये कीड़े अपने चारों तरफ लार से धागा बनाते हैं, जिसे कोकून कहा जाता है. यही धागा असली रेशम बनता है.

शहतूत की खेती से बढ़ेगी कमाई

अगर किसान शहतूत की खेती के साथ रेशम कीट पालन शुरू करें तो वे दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं. शहतूत के पत्ते रेशम कीटों के लिए सबसे उपयुक्त भोजन होते हैं. एक एकड़ जमीन में शहतूत लगाने से करीब 500 किलो तक कोकून उत्पादन हो सकता है.

कैसे निकाला जाता है रेशम?

रेशम के कोकून को उबालकर उसमें से सूत्रधागा (फाइबर) निकाला जाता है. यही धागा बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जाता है. आज भी कई गांवों में रेशम उत्पादन किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया बना हुआ है.

क्यों करें रेशम की खेती?

रेशम की खेती पारंपरिक खेती से ज्यादा फायदेमंद है. इसमें कम मेहनत लगती है और सरकार सब्सिडी व प्रशिक्षण भी देती है. भारत में रेशम की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे अच्छी कीमत मिलती है. सही तरीके से की जाए तो यह कम समय में अच्छा मुनाफा देता है.

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