पीला मोजेक रोग से फसल बचाना अब आसान, जानें लक्षण और नियंत्रण के तरीके
सफेद मक्खी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए फसल पर नीम के तेल का छिड़काव करें.

फसलों की अच्छी पैदावार के लिए किसान सालभर मेहनत करते हैं, लेकिन जब पौधों को कई प्रकार के रोग घेर लेते हैं, तो उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है. पौधों में लगने वाले रोग न केवल उत्पादन को प्रभावित करते हैं, बल्कि किसानों की आय और जीवनशैली पर भी गहरा असर डालते हैं.
पीला मोजेक एक गंभीर रोग है, जो कृषि फसलों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. यह रोग सोयाबीन, उड़द, मूंग, कपास, और अन्य दालों की फसलों में अधिक देखा जाता है. अगर समय रहते इसका समाधान न किया जाए तो सारी फसल खराब हो सकती है. तो चलिए जानते हैं किसान भाई कैसे इस रोग से अपनी फसल का बचाव कर सकते हैं.
रोग का कारण
पीला मोजेक रोग बेगमोवायरस नामक विषाणु के कारण होता है. इस वायरस का मुख्य वाहक सफेद मक्खी होती है, जो संक्रमित पौधों से स्वस्थ पौधों में वायरस का संक्रमण फैलाती है. यह रोग तेज गर्मी और शुष्क मौसम में अधिक तेजी से फैलता है.
रोग के लक्षण
-पत्तियों पर पीले और हरे रंग के मोजेक जैसे पैटर्न बनना.
-पत्तियों का सिकुड़ना और विकृत होना.
-पौधों की वृद्धि में रुकावट और कमजोर विकास.
-फलों और बीजों का छोटा और कमजोर होना.
-संक्रमित पौधों का समय से पहले मुरझाना और सूख जाना.
नियंत्रण के उपाय
सफेद मक्खी का नियंत्रण: सफेद मक्खी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए फसल पर नीम के तेल का छिड़काव करें. इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशकों का प्रयोग भी प्रभावी होता है.
प्रतिरोधी किस्मों का चयन: पीला मोजेक रोग के प्रतिरोधी बीजों या किस्मों का चयन करें, जैसे मूंग की ‘श्वेता’ और उड़द की ‘टी-9’ किस्में.
फसल चक्र अपनाना: एक ही प्रकार की फसल को बार-बार न उगाकर फसल चक्र अपनाएं ताकि संक्रमण की संभावना कम हो.
रोगग्रस्त पौधों को हटाना: जिन पौधों पर यह रोग नजर आ रहा हो, उसे तुरंत खेत से निकालकर नष्ट कर देना चाहिए ताकि रोग बाकी फसल में न फैले.
समय पर निराई-गुड़ाई: खेत की साफ-सफाई और समय-समय पर निराई-गुड़ाई करने से सफेद मक्खियों के प्रजनन को रोका जा सकता है.