अप्रैल में उड़द की ये किस्म देती है किसानों को जमकर मुनाफा
पीडीयू-1 का बीज काला होता है और इस किस्म को भारत में जायद मौसम के लिए सही माना गया है. उड़द की इस किस्म को बसंत बीर के नाम से भी जाना जाता है.

मूंग की तरह ही उड़द दाल की खेती भी किसानों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है. इसकी खेती में ज्यादा लागत भी नहीं आती और मुनाफा भी जमकर होता है. उड़द दाल की एक किस्म ऐसी भी है जिसे किसानों के लिए ज्यादा लाभकारी माना गया है. इस किस्म की फसल को तैयार होने में ज्यादा दिन भी नहीं लगते हैं और साथ ही यह पीले मोजेक वायरस से भी सुरक्षित रहती है. इस किस्म की बाजार में भी काफी मांग है. इस किस्म को पीडीयू 1 किस्म के तौर पर जाना जाता है और यह उड़द की एक उन्नत किस्म है.
जायद की मौसम की फसल
पीडीयू-1 का बीज काला होता है और इस किस्म को भारत में जायद मौसम के लिए सही माना गया है. उड़द की इस किस्म को बसंत बीर के नाम से भी जाना जाता है. पीडीयू 1 को कानपुर में आईसीएआर-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान की तरफ से विकसित किया गया है. यह एक लोकप्रिय किस्म है जो उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों (NWPZ) और मध्य क्षेत्रों (CZ) क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगती है. इसकी खेती से किसानों को काफी फायदा होता है क्योंकि इसकी पैदावार ज्यादा होती है. बाजार में भी इसकी काफी मांग रहती है.
लाखों रुपये तक होती कमाई
ज्यादा उपज की वजह से किसान इसकी खेती से लाखों रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. ऐसे किसान जो उड़द की खेती में लगे हैं, उन्हें अक्सर विशेषज्ञों की तरफ से इस किस्म को चुनने की सलाह दी जाती है. सिर्फ 70 से 80 दिनों में पक जाने वाली इस किस्म से किसानों को प्रति हेक्टेयर 12 से 14 क्विंटल तक की उपज हासिल होती है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी को सबसे सही माना गया है. खेती के लिए पहले खेत को अच्छे से जोत लेना चाहिए. फिर मिट्टी में गोबर की खाद डालनी चाहिए.
अप्रैल के महीने में करें खेती
अच्छे नतीजों के लिए किसानों को अप्रैल के पहले हफ्ते में उड़द दाल बो देनी चाहिए. बुआई से पहले एकबार बीजों का ट्रीटमेंट भी कर लेना चाहिए. ध्यान रखें कि बीजों को कम से कम 10 सेमी की दूरी पर बोएं. खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए आप पानी के घोल का छिड़काव कर सकते हैं.