गेहूं की कालाबाजारी को रोकने के लिए क्या कारगर साबित हो पाया स्टॉक लिमिट का फैसला
भारत सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने और जमाखोरी को रोकने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी और छोटी रिटेल चेन, तथा प्रोसेसर्स पर गेहूं की स्टॉक लिमिट लगा दी है.

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों एक ऐसा फैसला किया है जिसे महंगाई रोकने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. सरकार ने गेहूं के स्टॉक लिमिट में फिर से कमी करने का निर्णय लिया है. इस नए आदेश के तहत होलसेलर्स, छोटे तथा बड़े चेन रिटेलर्स और प्रोसेसर्स के लिए निर्धारित स्टॉक लिमिट को घटा दिया गया है. सरकार इस कदम को जमाखोरी पर रोक लगाने और महंगाई को नियंत्रण में रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास मान रही है. हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फैसला कितना कारगर साबित हो पाता है.
दिसंबर 2024 में लिया गया यह फैसला 31 मार्च तक लागू रहेगा. खाद्य मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि गेहूं के दामों में कमी लाने के लिए सरकार कोशिशें कर रही हैं. यह कदम इसका ही हिस्सा है. सरकार की तरफ से इससे पहले भी गेहूं की स्टॉक लिमिट पर नियम लगाए गए थे. लेकिन बाजार में अपेक्षित तेजी से गिरावट नहीं देखने को मिल रही है. इस समय गेहूं के भाव लगभग 25 रुपये के आसपास स्थिर बने हुए हैं.
भारत सरकार की तरफ से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और जमाखोरी पर रोक लगाने के मकसद से गेहूं की स्टॉक लिमिट में जो बदलाव किए गए हैं, वो कुछ इस तरह से हैं-
-भारत सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने और जमाखोरी को रोकने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी और छोटी रिटेल चेन, तथा प्रोसेसर्स पर गेहूं की स्टॉक लिमिट लगा दी है.
-होलसेलर्स अब 2,000 टन की जगह सिर्फ 1,000 टन गेहूं रख सकेंगे.
-खुदरा विक्रेताओं को पहले 10 टन रखने की अनुमति थी, जिसे कम करके 5 टन कर दिया गया है.
-बड़ी रिटेल चेन पर भी 10 टन के बजाय 5 टन की ही स्टॉक लिमिट लागू होगी.
-प्रोसेसर्स अब अपनी क्षमता के 50 प्रतिशत तक ही गेहूं रख सकेंगे, जबकि पहले यह सीमा 60 प्रतिशत थी.
-इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि जमाखोरी पर अंकुश लगेगा और गेहूं के दामों में स्थिरता बनी रहेगी.
सरकार ने देश में जमाखोरी पर रोक लगाने और गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए स्टॉक लिमिट का नियम लागू किया है. सबसे पहले यह नियम 24 जून 2024 को लागू किया गया था, जिसके बाद 9 सितंबर को इसमें संशोधन किया गया.
खाद्य मंत्रालय के निर्देश के अनुसार, स्टॉक लिमिट का पालन करने के लिए सभी कंपनियों को स्टॉक लिमिट पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर अपनी स्टॉक संबंधी जानकारी दर्ज करनी होगी। इसके अलावा, हर शुक्रवार को कंपनियों को अपने गेहूं स्टॉक का विवरण अपडेट करना अनिवार्य होगा. सरकार का यह कदम जमाखोरी पर लगाम लगाने और गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है, जिससे आम जनता को राहत मिल सके.
सरकार ने गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने और जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक लिमिट नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। यदि कोई कंपनी—होलसेलर, बड़ी रिटेल चेन, छोटी रिटेल चेन या प्रोसेसर्स—निर्धारित सीमा से अधिक गेहूं जमा करती है, तो उसे नोटिफिकेशन जारी होने के 15 दिनों के भीतर स्टॉक लिमिट को मेंटेन करना होगा.
इसके अलावा अगर कोई कंपनी स्टॉक लिमिट पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करती है या नियमों का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
खाद्य मंत्रालय की सख्ती
सरकार गेहूं और आटे की कीमतों में तेजी को लेकर सतर्क है और स्टॉक लिमिट के सख्त अनुपालन पर लगातार नजर बनाए हुए है. मंत्रालय की प्राथमिकता है कि कालाबाजारी पर रोक लगाकर गेहूं की कीमतों को स्थिर या कम किया जाए। इसी उद्देश्य से स्टॉक लिमिट के नए नियम लागू किए गए हैं.