ड्यूटी फ्री चाय का आयात खराब कर रहा भारत की छवि- चाय उत्पादकों की बड़ी मांग
चाय बागान मालिकों और व्यापारियों ने सरकार से एक बड़ी मांग कर डाली है. एसोसिएशन की तरफ से यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई है कि सस्ती ड्यूटी फ्री चाय को एक वर्ग के लिए प्रतिबंधित किया जाए.

चाय बागान मालिकों और व्यापारियों के एक संगठन ने सरकार से एक बड़ी मांग कर डाली है. एसोसिएशन की तरफ से यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई है कि अफ्रीकी, एशियाई और दक्षिण अमेरिकी देशों से सस्ती ड्यूटी फ्री चाय के आयात को व्यापारियों के एक वर्ग के लिए प्रतिबंधित किया जाए. उनका कहना है कि ड्यूटी फ्री चाय के आयात से भारत में होने वाले चाय के उत्पादन की छवि को नुकसान पहुंचाकर इसी आयातित चाय को फिर से निर्यात किया जा रहा है. उनका मानना है कि अगर सरकार उनके फैसले को मानती है तो फिर चाय उद्योग को मंदी से उबारा जा सकता है.
सरकार को दिए गए सुझाव
अखबार द हिंदू ने एसोसिएशन के हवाले से जानकारी दी है कि इसके सरकार को कुछ सुझाव भी दिए गए हैं. इन सुझावों में री-एक्सपोर्ट यानी पुनःनिर्यात के लिए थोक आयात पर 100 फीसदी ड्यूटी लगाकर भारतीय चाय उद्योग को ‘मंदी’ से उबारना सस्ते, कम गुणवत्ता वाले आयातित चाय को भारतीय चाय के रूप में बाजार में पेश करने वाले व्यापारियों के खिलाफ एक्शन लेना धोखाधड़ी को जड़ से खत्म करने के लिए भारतीय चाय बोर्ड को अधिक वित्तीय और कानूनों से लैस करके सशक्त बनाना शामिल है.
रिपोर्ट्स में किए गए दावे
अखबार के मुताबिक यह सुझाव उन रिपोर्टों के बाद आए हैं जिनमें बताया दावा किया गया था कि अर्जेंटीना, बांग्लादेश, चीन, केन्या, मलावी, तंजानिया, नेपाल, ईरान, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे कई देशों से चाय का आयात जनवरी-नवंबर 2024 के दौरान साल 2023 की इसी अवधि की तुलना में 288 फीसदी तक बढ़ गया है. जबकि चीन, श्रीलंका और मलेशिया से उच्च-श्रेणी की चाय का आयात 11.72 डॉलर प्रति किलोग्राम, 5.65 डॉलर प्रति किलोऔर 4.13 डॉलर प्रति किलो तक था. वहीं बाकी जगहों से सस्ती चाय की कीमत औसतन महज 1.5 डॉलर थी. भारत में बड़े पैमाने पर खपत के लिए चाय की औसत कीमत 2.5 डॉलर प्रति किलो है.
क्या कहता है कानून
भारतीय चाय संघ (टीईए) के अध्यक्ष संदीप सिंघानिया के हवाले से अखबार ने लिखा है कि टी (डिस्ट्रीब्यूशन एंड एक्सपोर्ट) कंट्रोल ऑर्डर 2005 के अनुसार, भारत से निर्यात की जाने वाली किसी भी आयातित चाय के साथ मिलाया जाता है तो उसमें उसके मूल ब्रांड का जिक्र होना चाहिए. कानून के अनुसार आयातित चाय को आयात की तारीख से कम से कम 50 फीसदी वैल्यू एडीशन के साथ निर्यात करना भी जरूरी है. सिंघानिया के अनुसार बेईमान आयातकों ने चाय बोर्ड के निर्देश का उल्लंघन किया है. इसके अनुसार क्लीयरेंस सर्टिफिकेट हासिल करना और टी काउंसिल पोर्टल पर आयात और निर्यात की पूरी जानकारी की घोषणा करना अनिवार्य है. इसके परिणामस्वरूप चाय बोर्ड की तरफ से जारी आयात के आंकड़ों और मूल देशों से जारी निर्यात के आंकड़ों के बीच दस गुना का अंतर है.
बिगड़ रही भारत की इमेज
एसोसिएशन के अनुसार, सीमा शुल्क और विदेश व्यापार महानिदेशालय के अधिकारियों को चाय आयात के आंकड़े समय पर जारी करने चाहिए क्योंकि उनके पास वास्तविक आंकड़े हैं. एसोसिएशन ने कहा कि आयातित ड्यूटी फ्री चाय का उक बड़ा हिस्सा कानून का उल्लंघन कर रहा है और इसे ‘भारतीय चाय’ के तौर पर फिर से निर्यात किया जा रहा है.
सिंघानिया ने बताया कि ज्यादातर आयातित चाय ईरान, वियतनाम और अफ्रीका से आती है जो कि सस्ती क्वालिटी की होती है. ऐसे में जब उसे भारतीय टैग के साथ रीब्रांड करके निर्यात किया जाता है तो उससे भारत की छवि खराब होती है. जबकि भारत में उगाई जाने वाली चाय की कीमतें कम हुई हैं और उद्योग की स्थिरता के साथ सैलरी के पेमेंट पर भी असर पड़ा है. उन्होंने बताया कि इन सस्ती आयातित चायों का एक बड़ा हिस्सा भारतीय घरेलू बाजार में पहुंच गया. फिर इसे इस तरीके से बेचा गया कि जैसे कि वे भारत में उत्पादित हों. इससे घरेलू स्तर पर भारतीय चाय की कीमतों में गिरावट आई.