लीची के पौधों की ऐसे करें देखभाल, ग्रोथ और फसलों में होगा दोगुना फायदा
बिहार सरकार ने किसानों को नुकसान से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कीटनाशकों से बचाव के तरीके और 75% सब्सिडी पर कीटनाशकों के छिड़काव की सुविधा भी शुरू की है.

मार्च का महीना आते ही लीची के पेड़ों में फूल आना शुरू हो जाते हैं. यह समय लीची की फसल के लिए सबसे अहम होता है. अगर इस दौरान सही देखभाल न की जाए तो पूरी फसल प्रभावित हो सकती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है. इस समय लीची के पौधों पर कीटों का खतरा भी काफी बढ़ जाता है. इसलिए समय रहते सही प्रबंधन जरूरी होता है.
बिहार सरकार ने जारी की एडवाइजरी
लीची उत्पादकों को नुकसान से बचाने के लिए बिहार सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है. जिसमें बताया गया है कि लीची की फसल को लीची स्टिंक बग, दहिया कीट और लीची माइट जैसे खतरनाक कीटों से बचाने की जरूरत है. अगर समय रहते इनका सही प्रबंधन नहीं किया गया तो लीची के फूल और फल नष्ट हो सकते हैं, जिससे उत्पादन घट सकता हैं.
सरकार के तरफ से दी जा रही सब्सिडी
बिहार सरकार ने लीची किसानों की मदद के लिए 75% सब्सिडी पर कीटनाशकों के छिड़काव की सुविधा शुरू की है. इससे किसानों को अपनी फसल को कीटों से बचाने में सहायता मिलेगी. सरकार चाहती है कि लीची उत्पादक बेहतर तकनीकों का इस्तेमाल करके अधिक से अधिक उत्पादन करें और मुनाफा बढ़ाएं.
इन कीटों से बचाने के उपाय
दहिया कीट (Bark Eating Caterpillar)
यह कीट लीची के पौधों के तनों और शाखाओं में घुसकर उनका रस चूसते हैं.
इससे पौधे अंदर से कमजोर होकर सूख जाते हैं और गिर जाते हैं.
समय-समय पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए ताकि कीटों के अंडे नष्ट हो जाएं.
तनों के निचले भाग पर प्लास्टिक या ग्रीस लगाने से यह कीट ऊपर नहीं चढ़ पाते.
साथ ही पेड़ के तने पर चूना लगाना भी एक कारगर उपाय है.
लीची स्टिंक बग (Litchi Stink Bug)
यह कीट खासतौर पर लीची के कोमल फूलों और शाखाओं को प्रभावित करता है. उनका रस चूसकर फूल और फल गिरा देता है.
इस कीट से बचाव के लिए क्लोरफेनापायर 10% SC का 3 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
नियमित अंतराल पर फसल का निरीक्षण करें और प्रभावित शाखाओं को काटकर हटा दें.
लीची माइट (Litchi Mite)
लीची माइट के हमले से पत्तियों का रंग खराब हो जाता है, जिससे वे सिकुड़कर सूखने लगती हैं.
इससे बचाव के लिए सबसे पहले संक्रमित पत्तियों और टहनियों को काटकर जला देना चाहिए.
इसके अलावा, बुप्रोफेजिन, क्लोरफेनापायर या इमिडाक्लोप्रीड जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करें.
सल्फर 80 फीसदी घुलनशील चूर्ण को पानी में मिलाकर छिड़कने से भी लीची माइट से बचाव किया जा सकता है.
सही देखभाल से होगा जबरदस्त मुनाफा
लीची की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय सबसे महत्वपूर्ण होता है. यदि इस दौरान सही देखभाल की जाए और सरकार द्वारा दिए गए सुझावों का पालन किया जाए. तो किसानों को बेहतरीन उत्पादन और जबरदस्त मुनाफा हो सकता है. इसलिए लीची उत्पादकों को चाहिए कि वे समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करें, निराई-गुड़ाई करें और पौधों की नियमित देखभाल करें.