बिहार में मक्के की खेती से किसान हुए मालामाल, बंजर जमीन उगल रही सोना
कोसी बाढ़ के बाद किसानों की जमीन यूं ही पड़ी थी और बंजर हो चुकी थी. कई बीघा जमीन यूं ही बेकार होती जा रही थी.इसके बाद भी आज बड़े पैमान पर यहां पर बड़े स्तर पर मक्का की खेती होने लगी है.

बिहार में कोसी नदी कई दशकों से कई किसानों के लिए दुख की एक बड़ी वजह बनती आई है. लेकिन यही कोसी नदी अब किसानों की तकदीर भी बदल रही है. इस नदी के किनारे बसे किसान अब अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा के सपने को साकार करने लगे हैं. वजह है मक्का की खेती जिसके लिए यहां की बलुआ मिट्टी बड़ा वरदान साबित हो रही है. कई गांवों के किसान अब इसी मिट्टी में फसलें उगाकर अच्छा फायदा कमाने लगे हैं.
कभी बालू की मोटी चादर से ढके थे खेत
बसंतपुर ब्लॉक के तहत आने वाले बलुआ, विशुनपुर शिवरात, बलभद्रपुर, निर्मली, तुलसीपट्टी, ठूठी, चैनपुर, विशनपुर चौधरी में बसे किसान इन दिनों खासे खुश हैं. मक्का की खेती यहां के किसानों के लिए आय का अच्छा साधन बन गई है. अखबार प्रभात खबर की एक रिपोर्ट के अनुसार कभी यहां के खेत बालू की मोटी चादर से ढके रहते थे और उस मिट्टी में या तो पलाश या फिर कांसा ही उग पाता था. लेकिन आज यहां कई तरह की फसलें लहलहाने लगी हैं.
रंग लाई किसानों की मेहनत
किसानों की मेहनत आज रंग लाई है. अपने दम पर उन्होंने कोसी में आई भयानक बाढ़ के बाद भी यहां की जमीन को खेती के लायक बना दिया है. कोसी बाढ़ के बाद किसानों की जमीन यूं ही पड़ी थी और बंजर हो चुकी थी. कई बीघा जमीन यूं ही बेकार होती जा रही थी. जिन जगहों के बारे में ऊपर हमने आपको बताया है वो, कोसी के मुख्य धारा में शामिल हैं. इसके बाद भी आज बड़े पैमान पर यहां पर बड़े स्तर पर मक्का की खेती होने लगी है. नतीजा यह है कि आज हर फसल उपजने वाली जगह के तौर पर इसने अपनी अच्छी पहचान बना ली है.
बच्चों की पढ़ाई से लेकर शादी तक संभव
मक्का की फसल काफी बेहतर है. किसानों ने नवंबर के महीने में मक्का की फसल लगाई थी. अब वह धीरे-धीरे अंकुरित होने लगी है. किसानों की मानें तो खेती से अब अच्छी आमदनी होने लगी है और वो इससे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने और बेटी की शादी समेत सारे खर्च पूरे कर लेते हैं. साथ ही घर की आर्थिक समृद्धि का आधार ही सिर्फ मक्का का खेती है. इस बार बसंतपुर ब्लॉक में मक्का की 90 प्रतिशत से ज्यादा फसल हुई है. क्षेत्र की अलग-अलग पंचायतों में कुल 90 फीसदी से ज्यादा मक्का बोया गया है. अधिकारियों की मानें तो कृषि विभाग बाजार में बिकने वाले बीज पर निगरानी रखने के साथ साथ समय से किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराता आ रहा है.