भारत के 15 राज्यों में अनुबंध खेती को मंजूरी, जानें किसानों को क्या होगा फायदा
सरकार की तरफ से संसद में कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध पर खेती को लेकर बड़ी जानकारी दी गई है. सरकार ने संसद में बताया है कि देश में करीब 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कॉन्ट्रैक्ट पर खेती की अनुमति दी है.

सरकार की तरफ से संसद में कॉन्ट्रैक्ट यानी अनुबंध पर खेती को लेकर बड़ी जानकारी दी गई है. सरकार की तरफ से पिछले दिनों बताया गया है कि देश में करीब 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कॉन्ट्रैक्ट पर खेती की अनुमति दी है. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से इस बारे में सदन को जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया कि कृषि और मार्केटिंग राज्यों का विषय है. लेकिन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए 15 राज्यों ने अनुबंधित खेती के लिए नियम बनाए हैं.
तय हुए कुछ नियम
रामनाथ ठाकुर ने बताया, ‘कृषि और कृषि विपणन राज्य का विषय है. 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) अधिनियमों में अनुबंध खेती के लिए सक्षम प्रावधान किए हैं.’ उन्होंने कहा कि अनुबंध खेती में स्पॉन्सर्ड कंपनियों के रजिस्ट्रेशन, कॉन्ट्रैक्ट खेती के समझौतों की रिकॉर्डिंग और किसानों की भूमि के नुकसान के लिए एक संस्थागत व्यवस्था प्रदान की जाती है. उन्होंने बताया कि अनुबंध से पैदा होने वाले किसी भी विवाद को उसमें बताए गए मध्यस्थता और विवाद निपटारे तंत्र के तहत ही हल किया जाता है. सरकार की तरफ से पिछले साल पहली बार कॉन्ट्रैक्ट पर खेती की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया था.
दिसंबर 2024 में पहला कदम
दिसंबर 2024 में सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए तमिलनाडु, बिहार, झारखंड और गुजरात के किसानों के साथ 1,500 हेक्टेयर में दाल उगाने के लिए अनुबंध खेती शुरू की. इसका मकसद बढ़ती महंगाई और कम फसल उत्पादन के मद्देनजर दालों का उत्पादन बढ़ाना और बफर स्टॉक के लिए खरीद बढ़ाना था. यह एक पायलट प्रोजेक्ट था जो कामयाब रहा था. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सरकार की तरफ से पहली बार तमिलनाडु, बिहार, झारखंड और गुजरात समेत कई राज्यों के किसानों के साथ 1,500 हेक्टेयर कृषि भूमि पर दालें (अरहर और मसूर) उगाने के लिए अनुबंध खेती के समझौते किए गए थे.
जब सरकार ने पास किया बिल
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कोविड-19 से लड़ने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज के हिस्से के तौर पर केंद्र सरकार की तरफ से पहली बार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का बिल लाया गया था. सरकार ने मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता नामक एक अध्यादेश लागू किया था. इसका मकसद खेती के अनुबंध खेती (सीएफ) मॉडल में लगे किसानों को सुरक्षा और सशक्त बनाने के लिए एक कानूनी और नियामक ढांचा प्रदान करना था. हालांकि यह परंपरा सबसे पहले 18वीं सदी में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से भारत में लाई गई थी.