किसानों का एटीएम साबित होगा यह पौधा, एक बार लगाएं और 60 साल तक पाएं मुनाफा

लौंग का पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है और उत्पादन में समय लेता है, लेकिन एक बार उगने के बाद यह 50-60 साल तक फसल देता है.

किसानों का एटीएम साबित होगा यह पौधा, एक बार लगाएं और 60 साल तक पाएं मुनाफा
Noida | Updated On: 8 Mar, 2025 | 05:52 PM

लौंग, भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाले सबसे सुगंधित और गुणकारी मसालों में से एक है. इसकी तीखी खुशबू और औषधीय गुण से न केवल खाने का स्वाद बढ़ता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी यह बेहद फायदेमंद है. लौंग की खेती मुख्य रूप से दक्षिण भारत के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है, क्योंकि वहां की जलवायु इसके लिए अनुकूल होती है.

हालांकि, लौंग का पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है और उत्पादन में समय लेता है, लेकिन एक बार उगने के बाद यह 50-60 साल तक फसल देता है, जिससे यह किसानों के लिए एक दीर्घकालिक और लाभदायक निवेश बन सकता है. अगर आप लौंग की खेती के बारे में सोच रहे हैं, तो लौंग एक शानदार विकल्प हो सकता है. इसकी खेती एक व्यवस्थित और धैर्यपूर्वक की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसमें सही तकनीकों और देखभाल की जरूरत होती है. आइए जानते हैं इसके पौधे लगाने सही प्रक्रिया.

लौंग की खेती के प्रमुख चरण

 

जलवायु और मिट्टी

लौंग को गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद होती है. यह समुद्र तल से 600-1200 मीटर की ऊंचाई पर अच्छी तरह बढ़ता है. 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 150-250 सेमी वार्षिक वर्षा इसके लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. साथ ही इसके लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए. साथ ही जैविक तत्वों से भरपूर दोमट या लाल मिट्टी सबसे अच्छी होती है और मिट्टी का pH स्तर 5.5-6.5 के बीच होना चाहिए.

बीजों का चयन

लौंग के पौधों को बीजों से उगाया जाता है. इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले, स्वस्थ और ताजे बीजों का चयन करना बेहद जरूरी होता है. बीजों को सबसे पहले नर्सरी में बोया जाता है, जहां उन्हें उचित नमी और देखभाल दी जाती है. बीजों के अंकुरित होने में 6-8 सप्ताह का समय लगता है. जब छोटे पौधे मजबूत हो जाते हैं, तो उन्हें खेतों में रोपाई के लिए तैयार किया जाता है.

खेत की तैयारी

लौंग के पौधों के लिए खेत की गहरी जुताई की जाती है, जिससे मिट्टी नरम और भुरभुरी हो जाती है. मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए खेत में जैविक खाद मिलाया जाता है. इससे मिट्टी में जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है, जिससे पौधे तेजी से विकसित होते हैं.

पौधों की रोपाई

जब नर्सरी के पौधे 1-2 साल की उम्र तक पहुंच जाते हैं, तब उन्हें खेत में रोपित किया जाता है. पौधों के बीच 6-7 मीटर की दूरी रखी जाती है, ताकि प्रत्येक पौधे को पर्याप्त स्थान और पोषण मिल सके. इससे पौधों को अच्छी तरह से फैलने और बढ़ने में मदद मिलती है.

सिंचाई और देखभाल

लौंग के पौधों को अधिक नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए गर्मियों में नियमित रूप से सिंचाई करनी चाहिए. अत्यधिक गर्मी के दौरान मल्चिंग का उपयोग करने से मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है. मानसून के दौरान ज्यादा पानी न जमने दें, क्योंकि इससे जड़ों को नुकसान हो सकता है.

खाद और उर्वरक प्रबंधन

लौंग की बेहतर उपज के लिए संतुलित पोषण देना जरूरी है. पौधों को गोबर खाद, वर्मीकंपोस्ट और आवश्यक उर्वरक जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम देने से उनकी वृद्धि तेज होती है और उत्पादन बेहतर होता है.

कीट और रोग प्रबंधन

लौंग के पौधों में जड़ सड़न, तना गलन और पत्तियों पर फफूंद जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इनसे बचाव के लिए खेत की नियमित निगरानी करें और जैविक कीटनाशकों और नीम के तेल का उपयोग करें. साथ ही समय-समय पर पौधों की छंटाई करें, ताकि रोगों का फैलाव रोका जा सके.

कटाई और उत्पादन
लौंग के पौधे को 7-8 साल के बाद फूल आना शुरू होता है. जब लौंग की कलियां हल्के गुलाबी रंग की होने लगती हैं, तो उन्हें सावधानीपूर्वक तोड़ा जाता है. इसके बाद इन्हें छाया में सुखाया जाता है, जिससे उनका रंग गहरा भूरा हो जाता है और वे बाज़ार में बेचने के लिए तैयार हो जाती हैं.

Published: 9 Mar, 2025 | 03:30 PM

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